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दावा अनुच्छेद 370 खत्म करने का, लेकिन बीजेपी ने कश्मीर में नहीं उतारे एक भी प्रत्याशी, क्षेत्रीय दलों पर जताया भरोसा

दावा अनुच्छेद 370 खत्म करने का, लेकिन बीजेपी ने कश्मीर में नहीं उतारे एक भी प्रत्याशी, क्षेत्रीय दलों पर जताया भरोसा

DESK. लोकसभा चुनावों में सत्ताधारी भाजपा कई मुद्दों को प्रमुखता से उठाकर चुनाव प्रचार करने में लगी है. इसमें कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को सबसे बड़ी उपलब्धियों के तौर पर जोरशोर से पेश किया गया है. हालाँकि जिस कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की चर्चा देश भर में की जा रही है, उस कश्मीर संभाग के किसी लोकसभा सीट से भाजपा चुनाव नहीं लड़ रही है. यानी भले ही देश भर में अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर इसे एक चुनावी अस्त्र के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा हो लेकिन उसी कश्मीर संभाग में भाजपा ने चुनाव से खुद को दूर रखा है. 

जम्मू-कश्मीर में कुल पांच लोकसभा सीटें हैं. इन पांचों लोकसभा सीटों पर पांच अलग-अलग चरणों में मतदान हो रहा है. अब तक तीन सीट पर चुनाव हो चूका है. कश्मीर संभाग में लोकसभा की तीन सीटें हैं श्रीनगर, बारामुला और अनंतनाग-राजौरी. इसमें किसी भी सीट पर भाजपा खुद चुनावी मैदान में नहीं है. इसे लेकर अब नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला भाजपा पर हमला बोला है. उन्होंने सवाल किया है कि आखिर कश्मीर से नुच्छेद 370 हटाने की चर्चा देश भर में की जा रही है. भाजपा इसे उपलब्धि बता रही है लेकिन खुद कश्मीर संभाग की तीनों सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रही है. 

श्रीनगर सीट पर 29 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होगा. यहाँ 13 मई को चुनाव होना है. यहाँ से  नेशनल कान्फ्रेंस के आगा सैयद रुहुल्ला मेहंदी उम्मीदवार हैं. लेकिन भाजपा या एनडीए की ओर से कोई भी प्रत्याशी नहीं है. इसी तरह बारामूला लोकसभा क्षेत्र में चुनावी लड़ाई में नेशनल कॉन्फ्रेंस के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद गनी लोन से है. वहीं दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक इंजीनियर राशिद ने भी नामांकन किया है. यहां भी भाजपा से कोई उम्मीदवार नहीं है. अनंतनाग-राजौरी सीट पर 20 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. भाजपा ने इस सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है, और उसके द्वारा किसी प्रॉक्सी उम्मीदवार का समर्थन करने की संभावना है. मुख्य मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार मियां अल्ताफ अहमद के बीच होने की संभावना है.

कश्मीर संभाग की तीनों सीट मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता वाली है. ऐसे में इन तीनों सीटों पर सीधे चुनाव में भाजपा का नहीं उतरना घाटी में आम चर्चा का केंद्र बना हुआ है. एक ओर भाजपा राष्ट्रिय स्तर पर कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को सबसे बड़ी उपलब्धियों के तौर पर जोरशोर से पेश कर रही है. तो दूसरी ओर खुद चुनावी प्रोसेस से कश्मीर घाटी में खुद को अलग कर पार्टी ने विरोधियों को मौका दे दिया है. नेशनल कॉन्फ्रेस इसी को लेकर सवाल कर रही है कि क्या कश्मीर को लेकर जो दावा पीएम मोदी और भाजपा की ओर से किया जा रहा है वह सब भ्रामक है. आखिर क्या कारण है कि भाजपा ने कश्मीर से खुद को चुनाव से अलग रखा है और उसी कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 को चुनावी मुद्दा बनाकर देश में वोट मांग रही है. 

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