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पंडित नेहरू की कर्मभूमि रहे इस संसदीय क्षेत्र ने लोहिया से लेकर कांशीराम तक को देखा, लेकिन इस कुख्यात बाहुबली ने वहां रचा इतिहास..

पंडित नेहरू की कर्मभूमि रहे इस संसदीय क्षेत्र ने लोहिया से लेकर कांशीराम तक को देखा, लेकिन इस कुख्यात बाहुबली ने वहां रचा इतिहास..

फूलपुर- देश को सबसे ज्यादा नौ प्रधानमंत्री देने वाला उत्तरप्रदेश और प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु का लोकसभा क्षेत्र फूलपुर अपनी त्रासदी पर खुल कर आंसू भी नहीं बहा पा रहा है. फूलपुर  कभी जवाहरलाल नेहरु के नाम से विश्वनाथ प्रताप सिंह के नाम से जाना जाता था, उससे गैंगस्टर अतीक अहमद और कपिलमुनि करवरिया जैसे बाहुबलियों के नाम भी जुड़ गया. 

जनेश्वर मिश्र ने तोड़ दी दीवार

फूलपुर सीट से पंडित जवाहर लाल नेहरू के अलावा उनकी बहन  विजयलक्ष्मी पंडित, जनेश्वर मिश्रा, कमला बहुगुणा और केशव प्रसाद मौर्य इस सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने 1952 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर सीट से चुनाव जीता था. 1962 में उनके सामने समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया पर्चा भरा लेकिन वह चुनाव नहीं जीत पाए थे. पंडित नेहरु के निधन के बाद 1964 में फूलपुर में उपचुनाव हुआ.

विरासत संभालने में नाकामयाब रही कांग्रेस

प. नेहरू के बाद कांग्रेस यहां उनकी विरासत को पांच साल भी नहीं संभाल पाई . साल 1964 के उपचुनाव और 1967 के आम चुनाव में उनकी बहन विजयालक्ष्मी पंडित जीत गई थीं, लेकिन दो साल बाद वे संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि बन गईं और उनके इस्तीफे के साथ ही नेहरू परिवार से पूलपुर का रिश्ता खत्म हो गया. समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र ने उपचुनाव में कांग्रेस के केशवदेव मालवीय को परास्त कर नया इतिहास लिखा. साल 1999 तक हुए नौ चुनावों में 1971 में विश्वनाथ प्रताप सिंह और 1984 रामपूजन पटेल ही कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में जीत पाये.

ढ़ह गया कांग्रेस का किला

1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस को हार मिली और लोकदल की कमला बहुगुणा चुनाव जीत गईं. 1980 में जनता पार्टी के बीडी सिंह विजयी हुए. 1984 के चुनाव में कांग्रेस के राम पूजन पटेल को जीत मिली. 1989 तथा 1991 के चुनाव में भी वह विजयी रहे. 1996 के चुनाव में सपा का यहां से खाता खुला और जंग बहादुर पटेल चुनाव जीत गए. सपा की यहां पर पकड़ आगे भी जारी रही और 1999 में धर्मराज सिंह पटेल तो 2004 में गैंगस्टर अतीक अहमद सांसद बने थे. 2009 में बसपा के कपिल मुनि करवरिया सांसद बने थे. 2014 में बीजेपी के केशव प्रसाद ने 5,03,564  वोट हासिल कर सपा के धर्म राज सिंह पटेल    को हराया था तो साल 2019 के चुनाव  भाजपा की केशरी देवी पटेल ने सपा के पंधारी यादव को हराया था. तब से यह सीट भाजपा के कब्जे में है.

गैंगस्टर अतीक भी बना फूलपुर से सांसद

अब विडंबना देखिए जिस फूलपुर ने नेहरु को लोकसभा में भेजा वहीं का प्रतिनिधित्व  माफिया अतीक अहमद ने भी किया. उत्तर प्रदेश का माफिया डॉन अतीक अहमद जो पांच बार विधायक रहा था फूल पुर से  लोकसभा का चुनाव लड़ा और विजयी हुआ. वह अंडरवर्ल्ड से लेकर सियासी वर्ल्ड तक अपनी धाक मजबूत रखना चाहता था. वह राजनीतिक पलटबाजी में भी धुरंधर था. उसने एक दशक के अंदर ही एक नहीं बल्कि दो-दो प्रधानमंत्रियों को चुनौती दी थी.

अतीक ने दो बार पीएम को दी थी चुनौती

देश के प्रधानमंत्री को दूसरी बार अतीक अहमद ने 2019 में चुनौती दी, सबसे पहले उसने पीएम मनमोहन सिंह को मुलायम के कहने के बाबजूद अविश्वास प्रस्ताव के दौरान वोट नहीं देकर बसपा का साथ दिया था तो दूसरी बार अतीक ने पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी संसदीय सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान अतीक प्रयागराज की नैनी जेल में बंद था. उसने जेल के अंदर से ही सारी चुनावी औपचारिकताएं पूरी की थीं.उसके प्रतिनिधि ने वाराणसी आकर उसका नामांकन किया था लेकिन वाराणसी के लोगों ने उसे ठुकरा दिया था. उसे सिर्फ 855 वोट मिले थे जो कुल मतों का सिर्फ 0.08 फीसदी है. 

सजायाप्ता कपीलमुनि ने भी किया प्रतिनिधित्व

साल 2009 में बसपा के कपिलमुनि करवरिया ने बसपा के टिकट पर जीत दर्ज की .ये वहीं  बसपा के फूलपुर सीट से सांसद रहे कपिलमुनि करवरिया हैं  जिनको पूर्व भाजपा विधायक उदयभान करवरिया और पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया को जवाहर पंडित हत्याकांड के मुकदमे में उम्र कैद की सजा सुनाई गई. उन पर पूर्व विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड का मुकदमा अगस्त 1996 में सिविल लाइंस थाने में लिखा गया था. इस हत्याकांड का मुकदमा बरसों तक चला और काफी चर्चित रहा है. जवाहर पंडित की सिविल लाइंस में काफी हाउस के पास सड़क पर गोलियों से छलनी कर हत्या कर दी गई थी.

राजनीति का अपराधिकरण

स्वतंत्रता मिलने तक भारत में जो लोग राजनीति से जुड़े, उनमें से अधिकांश अपना घर, परिवार और यहां तक कि नौकरी छोड़कर देश के लिए कुछ कर गुजरने के जुनून के साथ शामिल हुए थे. आजादी के बाद इस स्थिति में बदलाव आया और राजनीति सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गया. धीरे-धीरे इसने धंधे का रूप ले लिया. राजनीति में नैतिक पतन के अगले चरण में अपने हितों को साधने के लिए गुंडों का उपयोग किए जाने लगा और उन्हें संरक्षण दिए जाने लगा. बाद में  स्थिति तब और बिगड़ गई, जब आपराधिक मानसिकता के लोगों ने राजनीतिज्ञों का दुमछल्ला बनने के स्थान पर स्वयं राजनीति में ही प्रवेश करना प्रारंभ कर दिया और झक सफेद कुर्ता-पायजामा को अपनी काली करतूतों को ढकने का माध्यम बना दिया. फूलपुर भी गैंगस्टर और अपराधियों को नकारने में कामयाब नहीं रहा और उसके स्वर्णिम इतिहास आंसूओं से ढ़क गए.

भाजपा -सपा में मुकाबला

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए  भाजपा ने प्रवीण पटेल को उतारा है तो सपा ने अमरनाथ मौर्य को उतारा है.ऐसे में यहां पर मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है. 

ईवीएम से हाथ होगा गायब

फिलहाल पंडित नेहरू की इस सीट का प्रतिनिधित्व  भाजपा कर रही है साल 2024 के लोकसभा चुनाव में  बेबस कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर इस बार यह सीट उसके लिए छोड़ दी है. स्थिति ये है कि जिस फूलपुर का देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने प्रतिनिधित्व किया था उस पार्टी का लोकसभा चुनाव 2024 में ईवीएम में चुनाव निशान तक नहीं होगा.



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