पहले जिस आसमान को देखती थीं, अब उसी में उड़ेंगी श्रेया! फोटो कॉपी की दुकान चलाने वाले की बेटी बनी पायलट
श्रेया शांडिल्य मध्य प्रदेश के सागर की पहली महिला पायलट बनीं। पिता के सहयोग से अपना सपना पूरा किया। इंडिगो एयरलाइंस में जूनियर फर्स्ट ऑफिसर बनीं।

बचपन में जो आसमान सपनों की दुनिया लगता था, आज उसी आसमान में अपने पंख फैलाकर उड़ने जा रही हैं सागर, मध्य प्रदेश की श्रेया शांडिल्य। 23 साल की उम्र में उन्होंने अपने बचपन के सपने को पूरा किया और सागर की पहली महिला पायलट बनीं। उनकी सफलता न सिर्फ उनके परिवार के लिए बल्कि हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है जो बड़े सपने देखने का साहस रखती है।
सागर के गोपालगंज में जन्मी श्रेया का बचपन आम बच्चों की तरह ही बीता, लेकिन उनकी आंखों में एक अलग चमक थी। जब भी वह अपने घर की छत पर खड़ी होकर आसमान में उड़ते हुए विमान को देखती थीं, तो उनके मन में एक ही ख्याल आता था- "एक दिन मैं भी यह विमान उड़ाऊंगी।" लेकिन यह ख्याल सिर्फ सपना बनकर न रह जाए, इसके लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत की।
श्रेया के पिता अवधेश शांडिल्य फोटो कॉपी की दुकान चलाते थे। आमदनी ज्यादा नहीं थी, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया। उन्होंने हर मुश्किल का सामना करके श्रेया को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। श्रेया ने भी अपने पिता की मेहनत को समझा और पूरी लगन से अपनी पढ़ाई जारी रखी।
पायलट बनने के लिए सिर्फ हिम्मत ही नहीं बल्कि कड़ी ट्रेनिंग और काफी खर्च की भी जरूरत थी। 2019 में श्रेया ने मध्य प्रदेश फ्लाइंग क्लब, इंदौर से 200 घंटे की ट्रेनिंग पूरी की और कमर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) हासिल किया। ट्रेनिंग के दौरान कई चुनौतियां आईं, लेकिन श्रेया ने कभी हार नहीं मानी। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और वह इंडिगो एयरलाइंस में जूनियर फर्स्ट ऑफिसर (जेएफओ) के पद पर शामिल हो गईं। अब श्रेया इंटरनेशनल फ्लाइट एयरबस-320 उड़ाने की तैयारी कर रही हैं। छोटे से शहर से आकर इतनी बड़ी सफलता हासिल करना आसान नहीं था, लेकिन उनकी हिम्मत ने हर मुश्किल को मात दे दी।
श्रेया की कहानी सिर्फ उनकी जीत की नहीं है, बल्कि हर उस लड़की की जीत है जो समाज की बेड़ियों को तोड़कर अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहती है। उसने साबित कर दिया कि अगर हौसला बुलंद हो और मेहनत सच्ची हो तो कोई भी सपना बड़ा नहीं होता। आज जब श्रेया प्लेन के कॉकपिट में बैठेगी और आसमान की ऊंचाइयों को छुएगी तो यह सिर्फ उड़ान नहीं होगी बल्कि उन सभी सपनों की उड़ान होगी जो कभी असंभव लगते थे। जो आसमान पहले सिर्फ देखने के लिए था, अब उसकी दुनिया बन गया है।