Guillain Barre Syndrome:पुणे में खतरनाक गुइलेन बैरी सिंड्रोम जीबीएस के 35 संदिग्ध मामले दर्ज, जानिए क्या है यह बीमारी और इसका बचाव
पुणे में खतरनाक गुइलेन बैरी सिंड्रोम जीबीएस के 35 संदिग्ध मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य महकमा एक्शन में आ गया है।

Guillain Barre Syndrome: महाराष्ट्र में गुलेन बैरी सिंड्रोम के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। वर्तमान में कुल 59 मरीजों की पहचान की गई है, जिनमें 38 पुरुष और 21 महिलाएं शामिल हैं। इनमें से 12 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इस बीमारी की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया है ताकि इसके कारणों और प्रसार के जोखिमों का विश्लेषण किया जा सके।
IGIMS के वरिष्ठ चिकित्सक प्रोफेसर डॉक्टर रोहित उपाध्याय ने गुलेन बैरी सिंड्रोम के बारे में बताया कि यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचाती है। इस स्थिति में, प्रतिरक्षा तंत्र गलती से तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता और कभी-कभी गंभीर मामलों में सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
डॉक्टर रोहित उपाध्याय ने बताया कि गुलेन बैरी सिंड्रोम के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के बाद विकसित होते हैं, जैसे कि वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण।
डॉक्टर रोहित उपाध्याय के अनुसार गुलेन बैरी सिंड्रोम का उपचार मुख्यतः इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी और प्लाज्मा फेरसिस द्वारा किया जाता है। इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी उपचार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करता है जबकि प्लाज्मा फेरसिस प्रक्रिया के दौरान खून से हानिकारक एंटीबॉडी हटाई जाती हैं। इसके अलावा, संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
WHO के अनुसार गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ रोग है जिसमें किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिकाओं पर हमला करती है। यह संभावित रूप से जीवन के लिए खतरा है लेकिन अधिकांश लोग गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के सबसे गंभीर मामलों से भी पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।जीबीएस की रोकथाम के लिए कोई विशिष्ट तरीका नहीं है, लेकिन संक्रमण से बचाव के तरिके अपना कर इससे बचा जा सकता है।
बहरहाल पुणे में खतरनाक गुइलेन बैरी सिंड्रोम जीबीएस के 35 संदिग्ध मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य महकमा एक्शन में आ गया है।