बेटे ने खड़ा कर दिया 100 करोड़ का साम्राज्य, घर पर परिजन आज भी करते हैं ईंट-भट्टे में मजदूरी, राज खुला तो गांववाले रह गए हैरान
जिस घर में माता पिता एक समय के खाने के लिए मोहताज हैं, वहीं उनका बेटे ने फर्जी तरीके से 100 करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर दिया। जब राज खुला तो पूरा गांव हैरान रह गया।
Auranagabad - औरंगाबाद के तथाकथित 'रॉबिनहुड' और मेडिकल दाखिला गिरोह के सरगना अभिनव शर्मा उर्फ प्रेम प्रकाश की गिरफ्तारी ने एक चौंकाने वाली पारिवारिक त्रासदी को उजागर किया है। एक तरफ जहां बेटे ने फर्जीवाड़े से 100 करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर लिया, वहीं दूसरी तरफ उसके जन्मदाता आज दाने-दाने को मोहताज हैं। उत्तर प्रदेश के लखनऊ से गिरफ्तार इस जालसाज की हकीकत जब उसके पैतृक गांव फतेहपुर पहुंची, तो हर कोई सन्न रह गया।
100 करोड़ का मालिक और मां-बाप की तंगहाली
मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाला यह शख्स औरंगाबाद के बारूण प्रखंड के बड्डी खुर्द पंचायत के फतेहपुर गांव का निवासी है। पुलिस रिकॉर्ड में इसके कई नाम हैं—अभिनव शर्मा, प्रेम प्रकाश विद्यार्थी, राजीव रंजन सिंह और सर्वेश शुक्ला। लेकिन, 100 करोड़ की संपत्ति बनाने वाले इस बेटे के माता-पिता आज अत्यंत गरीबी में जी रहे हैं। स्थिति यह है कि पिता सरदार सिंह ईंट-भट्ठों पर मजदूरी करते हैं और ग्रामीण उनकी मदद कर उनका जीवन-यापन कराते हैं।
बेटे की बेल और बेटियों की शादी में बिकी पुश्तैनी जमीन
प्रेम प्रकाश के अपराधों की कीमत उसके परिवार को चुकानी पड़ी है। माता-पिता ने अपनी तीन बेटियों की शादी और बेटे को जेल से बाहर निकालने (बेल कराने) के लिए अपनी पुश्तैनी 10 बीघा जमीन तक बेच दी। आज उनके पास खेती के लिए एक धुर जमीन भी नहीं बची है, केवल रहने के लिए एक घर रह गया है। जिस बेटे के लिए उन्होंने अपनी जमा-पूंजी और जमीन कुर्बान कर दी, उसी ने पिछले 8 सालों से मां-बाप की सुध तक नहीं ली है।
गांव में 'कन्हाई' से कुख्यात अपराधी बनने का सफर
गांव में उसे लोग 'कन्हाई' के नाम से जानते हैं। ग्रामीणों के अनुसार, उसने आठवीं तक की पढ़ाई गांव में ही की थी। लगभग आठ साल पहले उसने औरंगाबाद में नगर थाना के सामने 'कैरियर काउंसलिंग सेंटर' खोला था। उस दौरान उसने अपनी रॉबिनहुड वाली छवि बनाने के लिए फतेहपुर सूर्य मंदिर का रंग-रोगन और पुनपुन नदी पर छठ घाट का निर्माण भी करवाया था। लेकिन बाद में वह अपराध की दुनिया में उतर गया। उसकी काली करतूतों का पता गांव वालों को तब चला, जब वह पेशी के दौरान चलती ट्रेन से पुलिस हिरासत से फरार हो गया था।
मां का दर्द: 'आठ साल से बेटे का चेहरा नहीं देखा
पत्रकारों की टीम जब उसके घर पहुंची, तो पिता मजदूरी करने गए थे और मां पानपति देवी घर पर मिलीं। शॉल से चेहरा छिपाए मां ने बताया कि उन्होंने पिछले आठ साल से अपने बेटे का चेहरा नहीं देखा है। न उनके पास उसका मोबाइल नंबर है, न ही वे जानती हैं कि वह कहां रहता है। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि बेटे ने अपनी मर्जी से वाराणसी में शादी कर लिया है और उसके बच्चे भी हैं, लेकिन वह न कभी घर आता है और न ही कोई आर्थिक मदद भेजता है।
औरंगाबाद बिहार से दीनानाथ मौआर का रिपोर्ट