Bihar News:सैदपुर वैष्णवी धाम, गंगा तट पर आस्था, शक्ति और अद्भुत भव्यता का दिख रहा है संगम
Bihar News: वैष्णवी बलि और मनोकामना पूर्ण करने वाली मैंया गंगा के संगम स्थल के रूप में विख्यात वैष्णवी दुर्गा मंदिर भक्तों के लिए आध्यात्मिक शक्ति और अलौकिक आस्था का प्रतीक है।
Bihar News: गंगा तट पर स्थित सैदपुर वैष्णवी दुर्गा मंदिर नवरात्रि के पावन अवसर पर श्रद्धा और विश्वास का केन्द्र बन गया है। वैष्णवी बलि और मनोकामना पूर्ण करने वाली मैंया गंगा के संगम स्थल के रूप में विख्यात यह मंदिर भक्तों के लिए आध्यात्मिक शक्ति और अलौकिक आस्था का प्रतीक है। नवगछिया अनुमंडल के गंगा तट पर स्थित है ये मंदिर।
शारदीय नवरात्र के शुभारंभ के साथ ही यहां का वातावरण भक्तिरस से सराबोर है। हर ओर जगत जननी माता के गुणगान, दुर्गा सप्तशती का पाठ और संध्या आरती की गूंज सुनाई देती है। इस वर्ष भी तीसरी बार गंगा जल से घिरा मंदिर अपनी अलौकिक छटा से श्रद्धालुओं का मन मोह रहा है।
108 फीट ऊँचा यह मंदिर स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है। दक्षिण भारतीय शैली में बने गुंबद और स्तंभ, गर्भगृह की नक्काशी और आंतरिक सज्जा – सब मिलकर इसे अद्वितीय बनाते हैं। करोड़ों की लागत से निर्मित इस मंदिर की भव्यता दूर-दराज़ के जिलों तक चर्चा का विषय है। मंदिर के बगल में बना भव्य शिव मंदिर इस आस्था धाम की गरिमा को और बढ़ा देता है।
मंदिर की स्थापना सन 1962 में उस समय हुई थी जब सैदपुर के ग्रामीण ठीठर गोसाई की भूमि पर मनोकामना पूर्ण होने के उपलक्ष्य में तत्कालीन गोपालपुर थानाध्यक्ष ने देवी मंदिर की नींव रखी। आगे चलकर 2011 में महेश कुंवर की अध्यक्षता में मंदिर निर्माण समिति का गठन हुआ। 5 मार्च 2012 को संत शिरोमणि स्वामी आगमानंद महाराज के मार्गदर्शन में ग्रामीणों के सहयोग से यह भव्य धाम आकार ले सका।
हर वर्ष शारदीय नवरात्र में यहां कलश स्थापना, प्रतिमा पूजन, श्रीराम कथा और भजन-कीर्तन का विशेष आयोजन होता है। मंदिर के पंडित रमन झा के अनुसार प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती पाठ और संध्या आरती की जाती है। खास तौर पर वैष्णवी बलि की परंपरा—प्रथम पूजा, निशा पूजा और नवमी के दिन—माता के इस धाम को विशिष्ट पहचान देती है।
ग्रामीणों का कहना है कि यहां आने वाला हर भक्त एक अनोखी शांति और शक्ति का अनुभव करता है। सेवानिवृत्त सैनिक पंकज सिंह और राघव झा बताते हैं कि संध्या कथा के बाद होने वाले भजन-कीर्तन वातावरण को और पावन बना देते हैं। सचमुच, सैदपुर वैष्णवी मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं बल्कि श्रद्धा, संस्कृति और सभ्यता का जीवंत प्रतीक है, जहां गंगा की धारा और दुर्गा की महिमा मिलकर भक्तों को अध्यात्म की अद्भुत अनुभूति कराती है।
बालमुकुंद शर्मा की विशेष रिपोर्ट