Bihar News : कैंसर से बचे, लेकिन डेंगू से गयी डुमरांव महाराज चद्रविजय सिंह की जान, 78 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, जिले में दौड़ी शोक की लहर
Bihar News :डुमरांव महाराज चद्रविजय सिंह का 78 साल की उम्र में निधन हो गया. दिल्ली के ओपोलो अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली......पढ़िए आगे
BUXAR : डुमरांव राज परिवार की शान और बेबाक शख्सियत के लिए लोकप्रिय महाराजा चंद्रविजय सिंह का शनिवार की शाम निधन हो गया। 78 वर्ष की आयु में उन्होंने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से पूरे डुमरांव सहित बक्सर जिले में शोक की लहर दौड़ गई है। महाराजा चंद्रविजय सिंह पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे थे और अस्पताल में वेंटिलेटर पर थे। जैसे ही उनके निधन की खबर बक्सर पहुंची, बड़ी संख्या में उनके शुभचिंतक और आम लोग भोजपुर स्थित महाराजा कोठी पर शोक व्यक्त करने पहुंचे।
स्पष्टवादिता और सादगी के लिए थे मशहूर
महाराजा चंद्रविजय सिंह अपनी स्पष्टवादिता, सरल स्वभाव और आम लोगों से जुड़ाव के लिए जाने जाते थे। उन्हें भोजपुरी भाषा से गहरा लगाव था और वे अक्सर इसी भाषा में बात करते थे, जिससे वे लोगों के बीच और भी लोकप्रिय हो गए थे। महाराज होने के बावजूद, वे आम लोगों के साथ बैठकर उनकी समस्याओं को सुनते और उन्हें हल करने का प्रयास करते थे। यही कारण है कि समाज के हर वर्ग के लोग उनके निधन को एक 'अपूरणीय क्षति' मान रहे हैं।
कैंसर से उबरे, लेकिन डेंगू ने ली जान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तीन-चार साल पहले कोलकाता में महाराजा चंद्रविजय सिंह का प्रोस्टेट कैंसर का सफल इलाज हुआ था, जिसके बाद वे पूरी तरह स्वस्थ हो गए थे। हालांकि, कुछ समय पहले उन्हें डेंगू हो गया था, जिससे उनके प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगे। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।
आजादी से ठीक पहले हुआ था जन्म
महाराजा चंद्रविजय सिंह का जन्म 15 जून 1947 को हुआ था, यानी भारत की आजादी से सिर्फ दो महीने पहले। वे अपने दो भाइयों में सबसे बड़े थे। उनके पिता महाराजा कमल बहादुर सिंह, स्वतंत्र भारत के पहले आम चुनाव में शाहाबाद क्षेत्र से सांसद चुने गए थे। उन्होंने ही स्थानीय श्री बांके बिहारी मंदिर में चंद्रविजय सिंह की ताजपोशी कर उन्हें महाराजा की उपाधि दी थी।