Kamala Prasad Bissessar: बक्सर की बेटी कमला बिसेसर एक बार फिर इस देश की प्रधानमंत्री बनने को तैयार, भेलुपुर गांव में दौड़ी खुशी की लहर

Kamala Prasad Bissessar: बक्सर जिले के भेलुपुर गांव की बेटी कमला परसाद बिसेसर एक बार फिर त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं।

Kamala Prasad Bissessar
Kamala Prasad Bissessar- फोटो : SOCIAL MEDIA

Buxar News: बिहार के बक्सर जिले के एक छोटे से गांव भेलुपुर में आज उत्सव जैसा माहौल है। वजह है कमला परसाद बिसेसर का एक बार फिर त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री बनने की घोषणा। त्रिनिदाद और टोबैगो में हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस (UNC) को निर्णायक बहुमत मिला है। यह खबर न सिर्फ भेलुपुर बल्कि भारत के लिए भी गर्व का क्षण है।

कौन हैं कमला परसाद बिसेसर?

कमला बिसेसर पहली बार 2010 से 2015 तक त्रिनिदाद की महिला प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। वे त्रिनिदाद की भारतीय मूल की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। कमला की कहानी न केवल एक राजनेता की है, बल्कि एक संघर्ष, पहचान और जड़ों से जुड़ाव की प्रेरणादायक गाथा भी है।

उनके पूर्वज रामलखन वर्ष 1889 में कोलकाता से ब्रिटिश शासन के दौरान स्टीमर से मजदूरी करने त्रिनिदाद पहुंचे थे। यह जानकारी खुद कमला ने 2010 में प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत आने पर साझा की थी, जब उन्होंने अपनी जड़ों की तलाश शुरू की।

जब कमला पहुंचीं अपने पूर्वजों के गांव भेलुपुर

साल 2012 में कमला अपने पूर्वजों के गांव भेलुपुर, बक्सर आई थीं। यह यात्रा बेहद भावनात्मक और ऐतिहासिक रही। उन्होंने गांव के मंदिर में पूजा की, अपने परदादा के नाम का स्मरण किया, स्थानीय लोगों से मुलाकात की और गांव के स्कूल व सामुदायिक केंद्र के लिए मदद की घोषणा भी की।

कमला ने कहा था कि यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़ने का अनुभव है। भेलुपुर मेरे दिल में हमेशा रहेगा। उनके आगमन के बाद गांव में पक्की सड़क और कुछ बुनियादी सुविधाएं भी विकसित की गईं। हालांकि, इसके बाद विकास की रफ्तार थोड़ी धीमी हो गई।

वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान

कमला बिसेसर जैसी शख्सियतें भारत की सॉफ्ट पावर, संस्कृति और भारतीय मूल के प्रवासी नागरिकों की ताकत को दर्शाती हैं। आज जब दुनिया प्रवासी भारतीयों की भूमिका और योगदान की सराहना कर रही है, कमला बिसेसर का एक बार फिर सत्ता में लौटना भारत के लिए एक कूटनीतिक और सांस्कृतिक उपलब्धि है।

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