रेलवे का बड़ा सरप्राइज: कोसी नदी पर बनेगा हाई-लेवल मेगा ब्रिज, अब दिल्ली जाने के लिए मिलेगा सबसे छोटा और नया रास्ता!
लहेरियासराय से सहरसा के बीच 95 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन को लेकर तैयारी तेज हो गई है। 2376 करोड़ की इस योजना में कोसी नदी पर मेगा ब्रिज और 10 नए स्टेशन बनेंगे, जिससे यात्रा का समय आधा हो जाएगा।
Darbhanga - उत्तर बिहार के रेल नेटवर्क में एक नए युग की शुरुआत होने वाली है। दशकों पुरानी मांग को पूरा करते हुए लहेरियासराय (दरभंगा) से सहरसा के बीच प्रस्तावित नई रेल लाइन परियोजना अब धरातल पर उतरने को तैयार है। दरभंगा के सांसद गोपालजी ठाकुर के अनुसार, इस 95 किलोमीटर लंबी रेल लाइन को लेकर जल्द ही केंद्र सरकार की ओर से बड़ी घोषणा हो सकती है। यह परियोजना मिथिला और कोसी के बीच की भौगोलिक दूरी को पाटते हुए क्षेत्रीय विकास को नई रफ़्तार देगी।
आजादी के बाद का सबसे बड़ा रेल प्रोजेक्ट: 2376 करोड़ का बजट
लहेरियासराय-सहरसा रेल लाइन को इस क्षेत्र के लिए 'लाइफलाइन' माना जा रहा है। रेलवे के प्रारंभिक आकलन के मुताबिक, इस पूरी परियोजना पर करीब 2,376 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस रेल लाइन के निर्माण के लिए कोसी नदी पर एक विशाल हाई-लेवल रेल पुल बनाया जाएगा। इसके अलावा, यात्रियों की सुरक्षा और सुगम यातायात सुनिश्चित करने के लिए 14 बड़े पुल, 41 छोटे पुल और 72 अंडरपास बनाने का खाका तैयार किया गया है।
इन इलाकों से होकर गुजरेगी 'सपनों की रेल'
95 किलोमीटर का यह नया रेल मार्ग दरभंगा, सुपौल और मधेपुरा जिलों के उन ग्रामीण इलाकों को छुएगा जो अब तक रेल नेटवर्क से कटे हुए थे। प्रस्तावित रूट के अनुसार, यह लाइन लहेरियासराय से शुरू होकर देकुली, उघरा, खैरा, बिठौली, शंकर रोहार, हावीडीह, सजनपुर, कन्हौली, किरतपुर, जमालपुर, महिषी (तारा स्थान), बनगांव होते हुए सहरसा जंक्शन तक पहुंचेगी। इस रूट पर करीब 10 नए रेलवे स्टेशन बनाए जाने का प्रस्ताव है।
समय की बड़ी बचत: 6 घंटे का सफर अब सिर्फ 3 घंटे में
वर्तमान में लहेरियासराय से सहरसा जाने के लिए यात्रियों को मानसी या झंझारपुर होकर करीब 150-170 किलोमीटर का लंबा चक्कर लगाना पड़ता है, जिसमें 5 से 6 घंटे का समय बर्बाद होता है। नई रेल लाइन के शुरू होते ही यह दूरी घटकर मात्र 95 किलोमीटर रह जाएगी। इससे न केवल किराया कम होगा, बल्कि यात्री महज ढाई से तीन घंटे में अपना सफर पूरा कर सकेंगे। यह सहरसा और आसपास के जिलों के लिए दिल्ली जाने का एक वैकल्पिक और छोटा मार्ग भी प्रदान करेगा।
सांसद गोपालजी ठाकुर का 'ड्रीम प्रोजेक्ट'
सांसद गोपालजी ठाकुर ने इस परियोजना को मिथिला के विकास के लिए अनिवार्य बताया है। उन्होंने कहा कि उनके निरंतर प्रयासों के बाद नवंबर 2022 में रेल मंत्रालय ने इसके सर्वे को मंजूरी दी थी, जो अब लगभग पूर्ण हो चुका है। सांसद का मानना है कि जमालपुर, महिषी और किरतपुर जैसे पिछड़े इलाकों में इस रेल लाइन के आने से व्यापार, शिक्षा और रोजगार के असीमित अवसर पैदा होंगे और कोसी का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा।
कोसी और मिथिला के आर्थिक विकास को मिलेगी संजीवनी
इस परियोजना के धरातल पर उतरने से कोसी और मिथिला क्षेत्र के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत होंगे। कोसी क्षेत्र के किसानों और व्यापारियों को दरभंगा के बड़े बाजारों तक सीधी पहुँच मिलेगी। साथ ही, प्रसिद्ध धार्मिक स्थल महिषी (तारा स्थान) को रेल नेटवर्क से जोड़ने से धार्मिक पर्यटन को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा। केंद्र सरकार की इस पहल को उत्तर बिहार के रेल इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा बदलने वाली सबसे बड़ी योजना माना जा रहा है।