Bihar Politics:दरभंगा में 'लोकतंत्र की गाड़ी' अंबेडकर छात्रावास के गेट पर पंचर — राहुल गांधी का काफिला रोका, प्रशासन ने दिखाया 'वेलकम विद विरोध'

Bihar Politics:लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के दौरे ने सियासी हलचल मचा दी। 'शिक्षा न्याय संवाद' यात्रा के तहत दरभंगा पहुंचे राहुल गांधी का काफिला विश्वविद्यालय थाना के पास पुलिस ने रोक लिया...

बिना इजाजत आंबेडकर छात्रावास पहुंचे राहुल गांधी- फोटो : reporter

Bihar Politics: बिहार के दरभंगा में गुरुवार को कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के दौरे ने सियासी हलचल मचा दी। 'शिक्षा न्याय संवाद' यात्रा के तहत दरभंगा पहुंचे राहुल गांधी का काफिला विश्वविद्यालय थाना के पास पुलिस ने रोक लिया, जिसके बाद प्रशासन और कांग्रेस नेतृत्व के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। राहुल गांधी अपनी मांग पर अडिग हैं कि उनका कार्यक्रम अंबेडकर छात्रावास में ही होगा, जबकि जिला प्रशासन उन्हें राजेंद्र भवन (टाउन हॉल) में आयोजन की अनुमति देने पर जोर दे रहा है। इस घटनाक्रम ने बिहार की सियासत को गरमा दिया है और सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा छाया हुआ है।

क्या हुआ दरभंगा में?

राहुल गांधी सुबह दरभंगा एयरपोर्ट पर उतरे और वहां से अपने काफिले के साथ 'शिक्षा न्याय संवाद' कार्यक्रम के लिए निकले। उनका काफिला जैसे ही विश्वविद्यालय थाना के पास पहुंचा, पुलिस ने उसे रोक लिया। बताया जा रहा है कि प्रशासन ने सुरक्षा कारणों और पूर्व अनुमति की कमी का हवाला देते हुए काफिले को आगे बढ़ने से रोका। राहुल गांधी ने मौके पर ही प्रशासनिक अधिकारियों से बात की और अंबेडकर छात्रावास में ही कार्यक्रम करने की अनुमति की मांग दोहराई। दूसरी ओर, जिला प्रशासन ने साफ किया कि उन्हें राजेंद्र भवन में आयोजन की अनुमति दी गई है। इस दौरान तनाव बढ़ गया, और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।कांग्रेस सांसद राहुल गांधी प्रशासन के रोक के बावजूद आंबेडकर छात्रावास पहुंच चुके हैं। बता दें कि दरभंगा जिला प्रशासन ने राहुल गांधी को आबंडेकर कल्याण छात्रावास में ‘शिक्षा न्याय संवाद’ कार्यक्रम की मंजूरी नहीं दी थी। इस कार्यक्रम के लिए प्रशासन ने टाउन हॉल की इजाजत दी थी। लेकिन इसके बावजूद दरभंगा पहुंचने के बाद राहुल गांधी आंबेडकर छात्रावास जाने की जिद पर अड़ गए। रास्ते में जब प्रशासन ने राहुल गांधी के काफिले को रोका तो वो पैदल ही सड़क पर चलने लगे। उनके साथ-साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता भी चल रहे थे। इस दौरान वहां व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस-प्रशासन के पसीने छूट गए। आखिरकार प्रशासन के रोक के बावजूद राहुल गांधी आंबेडकर छात्रावास पर पहुंच ही गए। आंबेडकर छात्रावास के पास पहले ही छात्र और कई कांग्रेसी कार्यकर्ता मौजूद थे।

पैदल ही कार्यक्रम स्थल की ओर बढ़े राहुल

प्रशासन के साथ बातचीत के बाद राहुल गांधी ने अपने काफिले को छोड़कर पैदल ही कार्यक्रम स्थल की ओर रुख किया। उनका काफिला राज परिसर स्थित चौरंगी से निकला, और वे समर्थकों के साथ पैदल चलते हुए स्थानीय लोगों और छात्रों से मिलते नजर आए। इस दौरान सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था, और पूरे इलाके में कड़े इंतजाम देखे गए। राहुल गांधी का यह कदम उनके समर्थकों में जोश भरने वाला रहा, लेकिन प्रशासन के लिए यह चुनौती बन गया।

'शिक्षा न्याय संवाद' और अंबेडकर छात्रावास का विवाद

राहुल गांधी का यह दौरा 'शिक्षा न्याय संवाद' अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत वे दलित, ओबीसी, अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), और अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों से शिक्षा और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर बातचीत करने वाले थे। कांग्रेस ने इस कार्यक्रम के लिए अंबेडकर छात्रावास को चुना था, क्योंकि यह दलित छात्रों का प्रतीकात्मक केंद्र है। हालांकि, जिला प्रशासन ने इस आयोजन की अनुमति देने से इनकार कर दिया और इसे राजेंद्र भवन में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। कांग्रेस नेताओं ने इसे जेडी(यू)-बीजेपी गठबंधन की साजिश करार दिया।

एआईसीसी के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक अभय दूबे ने बुधवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि दरभंगा के जिला कल्याण अधिकारी ने बिना कोई कारण बताए अंबेडकर छात्रावास में कार्यक्रम की अनुमति रद्द कर दी। दूबे ने इसे "जेडी(यू)-बीजेपी की तानाशाही" बताया और कहा कि यह कदम दलित छात्रों की आवाज को दबाने की कोशिश है।

पुलिस और प्रशासन का पक्ष

दरभंगा जिला प्रशासन ने देर रात बुधवार को स्पष्ट किया था कि राहुल गांधी को 'शिक्षा न्याय संवाद' के लिए राजेंद्र भवन में अनुमति दी गई है। जिला जनसंपर्क कार्यालय के बयान में कहा गया कि आयोजकों को टाउन हॉल में कार्यक्रम की मंजूरी दी गई है। प्रशासन ने अंबेडकर छात्रावास में अनुमति न देने के पीछे सुरक्षा और प्रशासनिक कारणों का हवाला दिया, लेकिन इसका विस्तृत ब्योरा नहीं दिया। विश्वविद्यालय थाना के पास काफिले को रोकने को भी पुलिस ने नियमित जांच और सुरक्षा प्रोटोकॉल का हिस्सा बताया।

सुरक्षा के व्यापक इंतजाम

राहुल गांधी के दौरे को देखते हुए दरभंगा में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। शहर के प्रमुख मार्गों पर पुलिस और अर्धसैनिक बल तैनात हैं। राज परिसर और चौरंगी इलाके में बैरिकेडिंग की गई थी, और संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त पुलिस बल मौजूद रहा। राहुल गांधी के पैदल चलने के बाद पुलिस ने उनके रास्ते को सुरक्षित करने के लिए तुरंत इंतजाम किए।

क्यों अहम है यह दौरा?

राहुल गांधी का यह दौरा बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है। पार्टी दलित, ओबीसी, और ईबीसी समुदायों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है। 'शिक्षा न्याय संवाद' अभियान के तहत कांग्रेस बिहार के 75 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रही है, जिसमें 60 से अधिक राष्ट्रीय स्तर के नेता हिस्सा लेंगे। राहुल गांधी का अंबेडकर छात्रावास में कार्यक्रम की जिद दलित समुदाय के बीच प्रतीकात्मक संदेश देने की कोशिश है। इसके अलावा, राहुल गांधी पटना में सामाजिक सुधारक ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले पर बनी फिल्म "फुले" भी देखने वाले हैं, जो उनकी सामाजिक न्याय की मुहिम को और मजबूत करता है।इस घटना ने बिहार में सत्तारूढ़ जेडी(यू)-बीजेपी गठबंधन और विपक्षी कांग्रेस के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। कांग्रेस ने इसे दलित विरोधी कदम करार दिया है, जबकि प्रशासन इसे नियमों का पालन बता रहा है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद कांग्रेस को बिहार में दलित और पिछड़े वर्गों के बीच सहानुभूति हासिल करने का मौका दे सकता है।

राहुल गांधी के पैदल चलने और प्रशासन के साथ टकराव ने उनके दौरे को और सुर्खियों में ला दिया है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या राहुल गांधी अंबेडकर छात्रावास में कार्यक्रम कर पाएंगे, या प्रशासन अपनी बात पर अडिग रहेगा। यह दौरा न केवल दरभंगा, बल्कि पूरे बिहार की सियासत पर गहरा असर डाल सकता है।राहुल गांधी का दरभंगा दौरा एक सामान्य कार्यक्रम से कहीं अधिक सियासी ड्रामा बन गया है। अंबेडकर छात्रावास में अनुमति को लेकर प्रशासन और कांग्रेस के बीच छिड़ी जंग ने बिहार में शिक्षा, सामाजिक न्याय, और दलित मुद्दों को फिर से चर्चा में ला दिया है। राहुल गांधी की जिद और पैदल यात्रा ने उनके समर्थकों में जोश भरा है, लेकिन यह भी सवाल उठता है कि क्या प्रशासन के साथ यह टकराव बिहार में कांग्रेस की रणनीति को मजबूत करेगा, या इसे सिर्फ एक सियासी तमाशा बनाकर रहने देगा?

रिपोर्ट- वरुण कुमार ठाकुर