डीएम का सख्त एक्शन: जनता की समस्याओं में लापरवाही पर कार्यपालक अभियंता का वेतन रोका, कई अधिकारियों से मांगा स्पष्टीकरण

गया के डीएम शशांक शुभंकर ने जनता दरबार की समीक्षा में बड़ी कार्रवाई करते हुए बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता का वेतन रोक दिया है। नल-जल, आंगनबाड़ी किराया और परवरिश योजना में लापरवाही मिलने पर कई अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है

Gayaji -: ज़िला पदाधिकारी श्री शशांक शुभंकर के दैनिक जनता दरबार में आवेदनों के निष्पादन में हो रही देरी और विभागीय लापरवाही पर डीएम ने गहरी नाराजगी जताई है। आज रोस्टर के अनुसार हुई समीक्षा बैठक में डीएम ने न केवल अधिकारियों को फटकार लगाई, बल्कि दोषी पाए जाने पर बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता (सदर) के वेतन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। 

बिजली पोल नहीं लगाने पर गिरी गाज

बोधगया के अतिया पंचायत के निवासी बृजेश ठाकुर ने शिकायत की थी कि उनके वार्ड संख्या 14 में नल जल योजना के बिजली तार बांस की लकड़ियों के सहारे लटके हैं, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। आवेदन के बावजूद अब तक बिजली पोल नहीं लगाए जाने पर डीएम ने नाराजगी व्यक्त की और कार्यपालक अभियंता, बिजली विभाग (अर्बन) का वेतन अगले आदेश तक रोकते हुए स्पष्टीकरण मांगा है। उन्हें 7 दिनों के भीतर पोल लगवाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। 

आईसीडीएस विभाग की सुस्ती पर डीएम नाराज

समीक्षा के दौरान परवरिश योजना और आंगनबाड़ी केंद्र के किराए के भुगतान में भी बड़ी लापरवाही सामने आई। कोसमा पंचायत की सोनी देवी को जुलाई से अब तक परवरिश योजना का लाभ नहीं मिलने पर डीएम ने कहा कि सीडीपीओ सदर द्वारा जांच सही तरीके से नहीं की गई। वहीं, शमीम अहमद के निजी मकान में 2016 से 2022 तक चले आंगनबाड़ी केंद्र का किराया एग्रीमेंट की आड़ में लटकाए जाने पर डीएम ने सख्त निर्देश दिया कि अविलंब भुगतान करें और दोषी कर्मियों को चिन्हित कर 7 दिनों में रिपोर्ट दें।

नल-जल और जलजमाव पर कार्यपालक अभियंता को फटकार

नीमचक बथानी प्रखंड के कारू बीघा में नल जल योजना के टूटे पाइप और नाला निर्माण न होने से बाजार क्षेत्र में जलजमाव की समस्या पर डीएम ने कार्यपालक अभियंता (आरसीडी/आईसीडी) को कड़ी फटकार लगाई। डीएम ने सख्त निर्देश दिया कि सड़क पर पानी नहीं जमना चाहिए और पाइपलाइन तुरंत ठीक हो। लापरवाही को लेकर कार्यपालक अभियंता से स्पष्टीकरण की मांग की गई है और नाला निर्माण का प्रस्ताव तुरंत बनाकर कार्य शुरू करने का आदेश दिया गया है। 

अधिकारियों की कार्यशैली पर उठाए सवाल

डीएम ने पाया कि विभाग आवेदनों की जांच के दौरान आवेदकों को सूचना तक नहीं देते, जिससे समस्याओं का सही निपटारा नहीं हो पा रहा है। उन्होंने निर्देश दिया कि जांच के समय आवेदक की उपस्थिति अनिवार्य रखी जाए ताकि वे अपना पक्ष रख सकें। डीएम ने कड़े शब्दों में कहा कि यदि आवेदन को लंबित रखा जा रहा है, तो उसका ठोस और तार्किक कारण समीक्षा में देना होगा, अन्यथा संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई तय है। 

पारदर्शिता के लिए नई व्यवस्था: रिपोर्ट देना अनिवार्य

जिला पदाधिकारी ने आदेश दिया है कि निष्पादन के बाद आवेदक को जांच रिपोर्ट अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट आवेदक को व्हाट्सएप, ईमेल, कॉल या डाक के माध्यम से हर हाल में भेजी जानी चाहिए। डीएम अब स्वयं रोस्टर के अनुसार रैंडम तरीके से आवेदकों को बुलाकर यह क्रॉस-चेक कर रहे हैं कि उनकी समस्याओं का वास्तव में समाधान हुआ है या कागजों पर खानापूर्ति की गई है।

Report - manoj kumar