Pitra Paksha 2025: गयाजी में युद्ध पर भारी आस्था, रूस-यूक्रेन के श्रद्धालु संग बैठे, किया पिंडदान, देखिए तस्वीरें
फल्गु नदी तट स्थित देवघाट पर ऐसा दृश्य दिखा, जिसने सबको हैरत में डाल दिया। रूस और यूक्रेन जैसे दो युद्धरत देशों से आए श्रद्धालु, जो इन दिनों एक-दूसरे के दुश्मन माने जाते हैं, एक साथ बैठकर अपने पितरों की आत्मशांति के लिए पिंडदान करते नजर आए...
Pitra Paksha 2025: विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला में इस बार का नज़ारा बेहद अनोखा और दिल को छू लेने वाला रहा। गुरुवार को फल्गु नदी तट स्थित देवघाट पर ऐसा दृश्य दिखा, जिसने सबको हैरत में डाल दिया। रूस और यूक्रेन जैसे दो युद्धरत देशों से आए श्रद्धालु, जो इन दिनों एक-दूसरे के दुश्मन माने जाते हैं, गयाजी की पावन धरती पर एक साथ बैठकर अपने पितरों की आत्मशांति के लिए पिंडदान करते नज़र आए।
केवल यही नहीं, इस अनुष्ठान में रूस–यूक्रेन के अलावा अमेरिका और स्पेन से आए श्रद्धालुओं ने भी हिस्सा लिया। कुल 17 विदेशी श्रद्धालु—जिनमें 3 पुरुष और 14 महिलाएं शामिल थीं—भारतीय परिधान में सजे-धजे, मंत्रोच्चार और वैदिक परंपराओं के बीच विधि-विधान से पिंडदान और तर्पण करते दिखे।
इस पूरे अनुष्ठान का नेतृत्व गयापाल पंडा मनोज लाल टइयां ने किया। विदेशी श्रद्धालुओं ने कहा कि गयाजी का विष्णुपद मंदिर और पितृपक्ष मेला हिन्दू संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। यहां आकर वे न केवल भारतीय परंपरा को आत्मसात कर पा रहे हैं, बल्कि अपनी आत्मा को भी अद्भुत शांति का अनुभव कर रहे हैं।
विदेशी श्रद्धालु सियाना ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा “गयाजी की आध्यात्मिक धरा और यहां की संस्कृति ने हमें गहराई से प्रभावित किया है। यह जीवन का अविस्मरणीय अनुभव है, जहां आस्था और प्रेम हर सीमा को मिटा देते हैं।”
जिला प्रशासन से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, अब तक लगभग 25 लाख 19 हज़ार श्रद्धालु गयाजी पहुंचकर अपने पितरों का श्राद्ध कर चुके हैं। इस दौरान देवघाट, अक्षयवट, रामशिला और प्रेतशिला जैसी प्रमुख वेदियों पर देश-विदेश से आए श्रद्धालु लगातार पिंडदान कर रहे हैं।
युद्ध की विभीषिका के बीच रूस और यूक्रेन के नागरिकों का एक साथ बैठकर पिंडदान करना न सिर्फ़ अद्भुत दृश्य रहा, बल्कि इसने यह संदेश भी दिया कि आस्था, संस्कृति और परंपरा की ताक़त सीमाओं, विवादों और परिस्थितियों से कहीं ऊपर होती है।
रिपोर्ट- मनोज कुमार