Bihar News: जेल भेजे गए गया DSP को एक दिन में हीं मिल गई जमानत,दूर के रिश्तेदार ने कर दिया है दुष्कर्म का केस
Bihar News: गया डीएपी को जेल भेजा गया लेकिन अगले दिन ही उन्हें जमानत मिल गई। आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है...
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Bihar News: बिहार के एक डीएसपी को दुष्कर्म के आरोप में जेल भेजा गया। दूर के ही रिश्तेदार ने पांच साल पहले केस दर्ज कराया था। वहीं जेल जाने के अगले ही दिन डीएसपी साहब को बेल भी मिल गई है। एक दिन जेल में रहने के बाद डीएसपी की रिहाई हो गई है। बताया जा रहा है कि पांच साल पहले भागलपुर के महिला थाने में गया डीएसपी के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। गया डीएसपी ने इस रेप केस में एक दिन पहले सरेंडर किया। जिसके बाद वो जेल भेजे गए। वहीं जेल गए गया डीएसपी मुख्यालय सोमेश कुमार मिश्रा को बुधवार को जमानत भी मिल गई। मामले में चार्ज भी तय किया गया था।
कोर्ट में किया सरेंडर
डीएसपी को एडीजे वन लवकुश कुमार की अदालत ने जेल भेजा था। उनके खिलाफ उनकी एक करीबी महिला ने केस दर्ज कराया था। साथ ही, इस केस की कई सुनवाइयों में वे अनुपस्थित रहे थे, जिसके कारण उनका बेल बॉन्ड खारिज कर दिया गया और गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया था। इसके बाद डीएसपी ने कोर्ट में सरेंडर किया। जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
एक दिन का जेल अगले दिन मिला बेल
हालांकि, कोर्ट में उन्होंने दलील दी थी कि पितृपक्ष मेले की ड्यूटी में होने के कारण वे सुनवाई में उपस्थित नहीं हो सके। लेकिन कोर्ट ने उनकी इस दलील को स्वीकार नहीं किया। डीएसपी के खिलाफ 2020 में भागलपुर महिला थाना में केस दर्ज कराया गया था, जिसमें महिला ने 2009 से 2012 के बीच की घटनाओं का आरोप लगाया था। जमानत मिलने के बाद सोमेश कुमार मिश्रा ने बताया कि वे पूर्व में कोर्ट की तय तिथियों पर उपस्थित होते रहे थे। लेकिन सितंबर में जब सुनवाई की तिथि तय हुई, तब वे पितृपक्ष मेले की ड्यूटी में थे। इसके बाद दुर्गापूजा और उपचुनाव की ड्यूटी में व्यस्त रहे, जिससे उनकी छुट्टियां रद्द हो गईं।
कोर्ट ने मामले को झूठा करार दिया
उन्होंने कहा कि जैसे ही उन्हें छुट्टी मिली, वे 11 फरवरी को कोर्ट में पेश हुए, जबकि उनकी उपस्थिति की तिथि 17 फरवरी थी। इसी कारण कोर्ट ने उन्हें एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। सोमेश कुमार मिश्रा ने बताया कि केस दर्ज कराने वाली महिला उनकी दूर की रिश्तेदार हैं। उन्होंने 2009 से 2012 के बीच की घटना का आरोप लगाया था, लेकिन एफआईआर 2020 में दर्ज कराई गई। कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी को देखते हुए इसे झूठा मामला करार देते हुए उन्हें जमानत दे दी।