Bihar mining violations: भू-तत्व विभाग की बड़ी कार्रवाई! बालू घाट पर खनन में हुआ बड़ा झोल, टेंडर लेने वाले पर लगा 30 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना

गया जिले में अवैध बालू खनन को लेकर खान एवं भू-तत्व विभाग ने संवेदकों पर ₹30 करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया है। जानिए पूरी जांच प्रक्रिया और प्रशासनिक निर्णय।

Gaya mining violations
Gaya mining violations- फोटो : ai

Bihar mining violations: बिहार के गया जिले में अवैध बालू खनन को लेकर खनन एवं भू-तत्व विभाग ने एक बड़ी कार्रवाई की है। जिले के विभिन्न बालू घाटों पर कार्यरत संवेदकों के खिलाफ मिली शिकायतों के आधार पर जांच के बाद ₹31.26 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। यह मामला तब और भी चर्चित हो गया जब गया के खनिज विकास पदाधिकारी (MDO) ने इस दंड को महज ₹32.87 लाख तक सीमित कर दिया।इस कटौती पर प्रश्न उठते ही विभाग ने इसे गंभीरता से लिया और निदेशक, खान की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर पूरे मामले की गहन जांच करवाई।

क्या मिला जांच में?

जांच में यह स्पष्ट हुआ कि खनन नियमों का गंभीर उल्लंघन किया गया है और खनिज विकास पदाधिकारी द्वारा की गई दंड कटौती अनुचित और नियमविरुद्ध थी। इस आधार पर खन आयुक्त न्यायालय ने गया MDO के आदेश को रद्द कर दिया और ₹30.68 करोड़ से अधिक का जुर्माना पुनः बहाल कर दिया।

कैसे हुआ खनन नियमों का उल्लंघन?

जांच के दौरान निम्नलिखित उल्लंघन सामने आए:

निर्धारित सीमा से अधिक बालू खनन

लाइसेंस शर्तों का उल्लंघन

सुरक्षा और पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों की अनदेखी

खनिज निकासी के गलत रिपोर्टिंग और फर्जी रिकॉर्ड

इन सबके परिणामस्वरूप प्राकृतिक संसाधनों की लूट, सरकारी राजस्व की हानि, और स्थानीय परिवेश पर नकारात्मक असर पड़ा।

विभाग का स्पष्ट संदेश

खन एवं भू-तत्व विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि जो बंदोबस्तधारी और संवेदक नियमों का पूर्ण रूप से पालन करते हैं, उन्हें प्रशासनिक सहयोग मिलेगा। लेकिन जो नियमों का उल्लंघन करेंगे, उनके विरुद्ध कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।यह बयान आने वाले समय में राज्य के सभी खनन क्षेत्रों में नियमबद्धता और पारदर्शिता लाने के लिए सरकारी संकल्प को दर्शाता है।

क्या है बालू खनन विवाद का बड़ा असर?

प्राकृतिक संसाधनों की हानि: बालू जैसे खनिज का अंधाधुंध दोहन भूगर्भीय असंतुलन और नदियों की धारा पर असर डालता है।

राजस्व की चोरी: सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान होता है।

स्थानीय अपराधों को बढ़ावा: बालू माफिया और अवैध कारोबारियों की गतिविधियों से कानून व्यवस्था प्रभावित होती है।

इसलिए सरकार का यह कदम न केवल जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए है बल्कि पर्यावरण और सार्वजनिक संसाधनों की रक्षा के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।

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