बिहार के शिक्षा विभाग ने DM को दिया बड़ा टास्क, डॉ. एस. सिद्धार्थ ने 22 लाख बच्चों का आधार कार्ड बनाने की दी बड़ी जिम्मेदारी

बच्चों के आधार कार्ड का निर्माण न केवल उनकी पहचान के लिए आवश्यक है, बल्कि यह उनके शैक्षिक और सामाजिक अधिकारों को सुनिश्चित करने का भी माध्यम है।

बिहार के शिक्षा विभाग ने DM को दिया बड़ा टास्क, डॉ. एस. सिद्धार्थ ने 22 लाख बच्चों का आधार कार्ड बनाने की दी बड़ी जिम्मेदारी
बिहार के सरकारी स्कूल के बच्चों का बनेगा आधार कार्ड- फोटो : freepik

Bihar education department: बिहार के सरकारी स्कूलों के बच्चों के आधार कार्ड निर्माण में बड़ी चुनौती: 22.77 लाख बच्चे अब भी वंचित बिहार के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों का आधार कार्ड अब भी नहीं बन पाया है। फिलहाल 1.80 करोड़ नामांकित छात्रों में से 22.77 लाख बच्चों के पास आधार कार्ड नहीं है। इस आधार कार्ड के बिना बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

डीईओ की विफलता के बाद डीएम को जिम्मेदारी

शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) की विफलता के बाद जिलाधिकारियों (DM) को इस समस्या के समाधान का जिम्मा सौंपा है। बच्चों के नाम और विवरणों की सूची डीएम को भेजी गई है। इन बच्चों का आधार कार्ड बनाने और इसकी प्रविष्टि ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।

15 दिनों की समय सीमा 

एसीएस डॉ. एस. सिद्धार्थ ने डीएम से 15 दिनों में यह कार्य पूरा करने का आग्रह किया है। आधार पंजीकरण में सबसे बड़ी समस्या जन्म प्रमाण पत्र की जटिल प्रक्रिया है।बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बनाने में लगने वाले समय और जटिल प्रक्रियाओं के कारण आधार कार्ड निर्माण में देरी हो रही है।

स्थानीय स्तर पर समाधान

प्रत्येक प्रखंड के दो उच्च माध्यमिक विद्यालयों में आधार केंद्र स्थापित किए गए हैं।इन केंद्रों पर आधार कार्ड निर्माण की प्रक्रिया को तेज करने का प्रयास किया जा रहा है। बता दें कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ केवल आधार कार्ड धारक बच्चों को ही मिल सकता है।

ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर प्रविष्टि

सभी बच्चों का डेटा पोर्टल पर दर्ज किया जाना अनिवार्य है। इससे लाभुक आधारित योजनाओं का सही वितरण सुनिश्चित होगा। बिहार सरकार का यह कदम बच्चों के विकास और सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

15 दिनों के भीतर लक्ष्य प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती है।

जिलाधिकारियों और आधार केंद्रों के सहयोग से इस कार्य को तेजी से पूरा करने की उम्मीद है। बच्चों के आधार कार्ड का निर्माण न केवल उनकी पहचान के लिए आवश्यक है, बल्कि यह उनके शैक्षिक और सामाजिक अधिकारों को सुनिश्चित करने का भी माध्यम है।


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