सदर अस्पताल के 'कचरे' में मिलीं लाखों की एक्सपायरी दवाइयां, मरीज महंगी दवाई खरीदने को मजबूर, उपाधीक्षक ने कहा- 'सिस्टम जिम्मेदार, मेरी गलती नहीं'

Katihar : कटिहार सदर अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। अस्पताल परिसर स्थित एएनएम हॉस्टल और दवा स्टोर के बाहर लाखों रुपये की सरकारी दवाइयां कचरे के ढेर की तरह खुले में फेंकी हुई मिली हैं। हालांकि, इस मामले में अस्पताल की उपाधीक्षक (DS) ने अपनी गलती मानने से इनकार करते हुए इसे प्रशासनिक प्रक्रिया की देरी बताया है।

2018 से 2022 तक की दवाइयां खुले में बर्बाद

अस्पताल परिसर में ओपीडी और इमरजेंसी में इस्तेमाल होने वाली जरूरी दवाइयां जैसे- टैबलेट, सिरप, इंजेक्शन, कैन्युला और पट्टियां जमीन पर बिखरी पाई गईं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से कई दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी तारीख 2018, 2021 और 2022 की है। इसका मतलब है कि पिछले कई सालों से स्टॉक वेरिफिकेशन और दवाओं के निपटारे (Disposal) की प्रक्रिया ठंडे बस्ते में थी, और अब इन्हें बायो-मेडिकल वेस्ट नियमों की अनदेखी करते हुए खुले में छोड़ दिया गया है।

उपाधीक्षक की सफाई: 'यह कचरा नहीं, कैंपस है'


इस मामले पर जब सदर अस्पताल की उपाधीक्षक डॉ. आशा शरण से सवाल किया गया, तो उन्होंने बचाव करते हुए कहा कि दवाइयां कचरे में नहीं, बल्कि सदर स्टोर के कैंपस में रखी गई हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि एक्सपायरी दवाओं का अंबार है, लेकिन इसमें उनकी कोई गलती नहीं है.

तीन बार पत्र लिखने के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई 

डॉ. आशा शरण ने बताया कि उन्होंने दवाओं के निपटारे (Disposal) के लिए एक नहीं, बल्कि तीन बार उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा, "अकेले मैं इसे डिस्पोज नहीं कर सकती. इसके लिए एक टीम होती है जिसमें सिविल सर्जन, ड्रग इंस्पेक्टर (DI) और सिनर्जी (वेस्ट मैनेजमेंट एजेंसी) के लोग शामिल होते हैं".

'प्रोसेसिंग में है दिक्कत'

उपाधीक्षक ने स्वीकार किया कि दवाइयां सड़ रही हैं, लेकिन उन्होंने इसका ठीकरा जिला स्वास्थ्य समिति (DHS) और सिनर्जी एजेंसी पर फोड़ा। उन्होंने कहा, "प्रोसेसिंग में दिक्कत है. सिनर्जी वाले ने कॉस्ट (खर्च) बताया था, जिसकी मंजूरी डीएचएस से मिलनी है. हमने वहां तक फाइल पहुंचा दी है, लेकिन अभी तक डिस्पोजल नहीं हुआ". उन्होंने मीडिया से यहां तक कह दिया कि "आपने खबर छाप दी, यह अच्छा ही किया, शायद अब वहां तक बात पहुंचेगी".

संक्रमण का खतरा और उठते सवाल 

विशेषज्ञों के अनुसार, मेडिकल वेस्ट का इस तरह खुले में पड़ा रहना संक्रमण को न्योता देना है। लाखों की सरकारी राशि की बर्बादी और बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स के उल्लंघन पर अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या केवल पत्राचार का हवाला देकर अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच सकते हैं? फिलहाल मामले में जांच की बात कही जा रही है।


Report - shayam, katihar