Bihar News: सरकारी अस्पताल में इंसान बेघर, कुत्तों के लिए है बेड, खुद देख लीजिए अस्पताल है श्वानगाह?
Bihar News:अस्पताल है “अनुमंडलीय”, लेकिन यहां बेड इंसानों के लिए नहीं कुत्तों के लिए है. खुद देखिए....
Bihar News: कटिहार के बारसोई अनुमंडलीय अस्पताल की तस्वीरें किसी क्राइम सीन से कम नहीं। यहां बीमारी से लड़ने आए गरीब मरीज़ इंसानियत की अंतिम सांस गिन रहे हैं, और हाल यह कि बेड पर मरीजों के बजाय आवारा कुत्ते शाही अंदाज में डेरा जमाए पड़े हैं। यह नज़ारा सिर्फ गंदगी की नहीं, बल्कि सरकारी लापरवाही की खुली तफसील है।
अस्पताल के प्रसव गृह के बाहर कीचड़, बदबू और मच्छरों का अंबार ऐसा है मानो इंसान इलाज़ कराने नहीं, मौत की दहलीज़ पर दस्तक देने आया हो। प्रसव के बाद मां-बच्चे पर इंफेक्शन का डर हर पल मंडराता है। लेकिन प्रशासन की आंखों पर ऐसी पट्टी बंधी है कि जैसे सब कुछ दुरुस्त हो।
स्थानीय लोग फट पड़े “यहां गंदा पानी, मच्छरों का आतंक, बदबू का आलम… मगर अस्पताल प्रशासन गहरी नींद में। जच्चा-बच्चा की जान किसी को फ़िक्र ही नहीं।”
हैरत की हद तो यह है कि बेड के लिए इंसान दर-दर भटकते हैं, और वही बेड पर आवारा कुत्ते राजसी नींद लेते हैं। यह नज़ारा किसी अस्पताल का नहीं, बल्कि प्रशासन की लापरवाही का मुंह चिढ़ाता हुआ तमाशा है।
जब इस मुद्दे पर अनुमंडलीय उपाधीक्षक से जवाब माँगा गया तो वे नदारद मिले। हालात की गंभीरता पर ध्यान देने के बजाय पूरा अमला चैन की बंशी बजा रहा है। वहीँ जेडीयू नेता रोशन अग्रवाल से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने भी गोलमोल जवाब देकर सिविल सर्जन से “कार्रवाई की मांग” की बात कहकर अपनी ज़िम्मेदारी झाड़ ली।
अस्पताल का नाम है “अनुमंडलीय”, लेकिन यहां इलाज़ से ज़्यादा मौत, गंदगी और बदहाली का अनुमंडल नज़र आता है। जनता परेशान, बच्चे बीमार, महिलाएँ असुरक्षित और बेड पर सोते कुत्ते यह है बिहार की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था का असली पोस्टमार्टम।
रिपोर्ट- श्याम कुमार सिंह