Bihar Vidhansabha Chunav : कटिहार में राजद और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने किया नामांकन, असमंजस में कार्यकर्ता
Bihar Vidhansabha Chunav : कटिहार में राजद और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने नामांकन किया है. जिसको लेकर सियासत गरमा गयी है. वहीँ कार्यकर्ता अब असमंजस में हैं......पढ़िए आगे
KATIHAR : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए नामांकन की प्रक्रिया समाप्त होने के बावजूद, विपक्षी दलों के महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कई सीटों पर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इसी कड़ी में, कटिहार जिले की प्राणपुर विधानसभा सीट से चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां महागठबंधन के दो घटक दलों – कांग्रेस और राजद – के उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया है। यह स्थिति महागठबंधन के शीर्ष नेतृत्व के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है, जो गठबंधन की एकजुटता को प्रभावित कर सकती है।
तौकीर आलम का 'डबल नॉमिनेशन'
प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के सक्रिय नेता तौकीर आलम ने एक अप्रत्याशित कदम उठाया है। सूत्रों के अनुसार, उन्हें ऐन वक्त पर कांग्रेस के सिंबल के साथ बरारी विधानसभा सीट पर शिफ्ट कर दिया गया था। इसके बावजूद, आलम ने अपने पुराने गढ़ प्राणपुर और नई सीट बरारी, दोनों विधानसभा क्षेत्रों से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया है। उन्होंने अपने इस कदम के पीछे राहुल गांधी के दो सीटों से चुनाव लड़ने के तर्क का हवाला दिया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना दिया है।
इशरत परवीन भी मैदान में, राजद जिलाध्यक्ष ने ठोकी दावेदारी
दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की कद्दावर नेता इशरत परवीन भी प्राणपुर विधानसभा सीट पर राजद प्रत्याशी के रूप में मजबूती से डटी हुई हैं। उन्होंने भी अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। यह ध्यान देने योग्य है कि इशरत परवीन पूर्व में भी इस सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं और उनका यहाँ अच्छा जनाधार रहा है (2015 में एनसीपी उम्मीदवार के रूप में और 2020 में निर्दलीय के रूप में अच्छा प्रदर्शन)। एक ही सीट पर गठबंधन के दो प्रमुख दलों के उम्मीदवारों द्वारा नामांकन दाखिल करने से यह स्पष्ट है कि सीट-बंटवारे को लेकर स्थानीय स्तर पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।
महागठबंधन के सामने बड़ी उलझन
इस दोहरे नामांकन के कारण कटिहार सहित बिहार की कई अन्य सीटों पर महागठबंधन के अंदर 'महा-कन्फ्यूजन' की स्थिति बन गई है। गठबंधन के दोनों उम्मीदवार खुद को असली गठबंधन का प्रत्याशी बता रहे हैं, जिससे कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच असमंजस की स्थिति है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नामांकन वापसी की अंतिम तिथि से पहले महागठबंधन का केंद्रीय नेतृत्व इस अटकल भरी गांठ को कैसे सुलझाता है और प्राणपुर सीट के लिए अंतिम आधिकारिक गठबंधन प्रत्याशी के रूप में किसे घोषित करता है।
दोस्ताना मुकाबला' या डैमेज कंट्रोल?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि कोई उम्मीदवार अपना नामांकन वापस नहीं लेता है, तो इस सीट पर महागठबंधन के भीतर ही एक 'दोस्ताना मुकाबला' देखने को मिल सकता है, जिसका सीधा फायदा एनडीए (NDA) या अन्य विपक्षी दलों को मिल सकता है। वर्ष 2020 में भी, भाजपा की निशा सिंह ने कांग्रेस के तौकीर आलम को सिर्फ 2,972 वोटों के नजदीकी अंतर से हराया था। ऐसे में, यह विवाद महागठबंधन के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है और सबकी निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि डैमेज कंट्रोल के लिए पटना से क्या निर्देश जारी होते हैं।
कटिहार से श्याम की रिपोर्ट