Bihar News: मूंछें हों तो नरेश हजारी जैसी हों, CISF के 'मूछों वाले पहलवान' की अनसुनी कहानी, जान लीजिए

Bihar News: बिहार के परबत्ता प्रखंड के कबेला गांव निवासी 70 वर्षीय नरेश हजारी इन दिनों अपनी अनूठी मूंछों को लेकर देशभर में चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस उम्र में भी उनकी मूंछें 14 इंच लंबी हैं...

मूंछें हों तो नरेश हजारी जैसी हों- फोटो : reporter

Bihar News: बिहार के परबत्ता प्रखंड के कबेला गांव निवासी 70 वर्षीय नरेश हजारी इन दिनों अपनी अनूठी मूंछों को लेकर देशभर में चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस उम्र में भी उनकी मूंछें 14 इंच लंबी हैं, जो किसी भी देखने वाले को दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर देती हैं। लेकिन यह सिर्फ लंबाई का किस्सा नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स की कहानी है जिसने अपनी मूंछों को अपनी शान और पहचान बनाया।

CISF में 42 इंच की मूंछें: देश की दूसरी सबसे लंबी मूंछों का दावा

नरेश हजारी बताते हैं कि उन्हें 1978 में सीआईएसएफ (CISF) में नौकरी मिली। नौकरी मिलने से पहले ही उन्होंने मूंछें रखना शुरू कर दिया था। अपनी सेवा के दौरान उनकी मूंछें 42 इंच तक पहुंच गई थीं! उनका दावा है कि उस समय पूरे देश में उनकी मूंछें दूसरी सबसे लंबी थीं।

विभाग ने भी किया सम्मान: मूंछों की देखभाल के लिए मिली विशेष राशि

सीआईएसएफ में रहते हुए नरेश हजारी को कई बार विभाग की ओर से सम्मान मिला। उनकी अनूठी मूंछों की देखभाल के लिए विभाग ने उन्हें विशेष राशि भी दी, जो मूंछों के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।

पहलवानी में भी कमाल: विदेशों में चित किए कई पहलवान

नरेश हजारी सिर्फ मूंछों के धनी नहीं थे, बल्कि एक कुशल पहलवान भी थे। उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से उन्हें पहलवानी में भी अवसर मिला। वे विदेशों में जाकर कई पहलवानों को चित कर चुके हैं, जो उनके शारीरिक कौशल और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।

पिता के देहांत पर काटी मूंछें, फिर भी नहीं छोड़ा साथ

1985 में उनके पिता का देहांत हो गया, जिसके बाद उन्हें परंपरा अनुसार अपनी मूंछें काटनी पड़ीं। लेकिन इस घटना के बाद भी उन्होंने मूंछें रखना नहीं छोड़ा और फिर से उन्हें संजोना शुरू कर दिया। 2015 में वे सीआईएसएफ से सेवानिवृत्त हुए, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने अपनी मूंछों को उसी शान से संभाले रखा है।

'मूंछ मर्द की शान': गांव में आज भी आकर्षण का केंद्र

नरेश हजारी का मानना है कि मूंछ 'मर्द की शान' होती है। यही वजह है कि उन्होंने इसे कभी पूरी तरह नहीं हटाया। सीआईएसएफ में नौकरी मिलने से पहले उन्होंने मुक्ति सेवा में भी अपना योगदान दिया था। आज भी उनके गांव में उनकी मूंछें लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं, जो उनकी अनूठी पहचान का प्रतीक है। नरेश हजारी की कहानी न केवल उनकी मूंछों की लंबाई को दर्शाती है, बल्कि उनके दृढ़ व्यक्तित्व, सेवा भावना और अपनी परंपराओं के प्रति उनके गहरे सम्मान को भी उजागर करती है।

रिपोर्ट- अमित कुमार