Bihar Crime: लखीसराय में अफसरशाही का डर मॉडल, अब कर्मचारी भी उतरे बग़ावत पर, DTO पर जातीय भेदभाव, गाली-गलौज और उगाही के संगीन आरोप , अब क्या करेंगे DM साहेब?
Bihar Crime: लखीसराय जिले में परिवहन विभाग इन दिनों महज़ एक सरकारी दफ्तर नहीं, बल्कि सियासत, सत्ता और सिस्टम की स्याह तस्वीर बनता जा रहा है। डीटीओ से जब परिवहन विभाग के सचिव ने स्पष्टीकरण मांगा, तो यह मामला सिर्फ ऊपर तक ही सीमित नहीं रहा....
Bihar Crime: लखीसराय जिले में परिवहन विभाग इन दिनों महज़ एक सरकारी दफ्तर नहीं, बल्कि सियासत, सत्ता और सिस्टम की स्याह तस्वीर बनता जा रहा है। डीटीओ से जब परिवहन विभाग के सचिव ने स्पष्टीकरण मांगा, तो यह मामला सिर्फ ऊपर तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि अंदरखाने सुलग रही चिंगारी अब खुली बग़ावत में तब्दील हुई। जिला परिवहन कार्यालय के कर्मियों और पदाधिकारियों ने डीटीओ के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए जिलाधिकारी लखीसराय को सामूहिक आवेदन सौंपा।
आवेदन में लगाए गए आरोप बेहद गंभीर और लोकतांत्रिक व्यवस्था को झकझोरने वाले थे। कर्मचारियों का कहना है कि जिला परिवहन पदाधिकारी अपने पद की गरिमा को ताक पर रखकर मातहत कर्मियों से उनकी जाति पूछते हैं और उसी आधार पर भेदभाव करते हैं। यह आरोप न सिर्फ प्रशासनिक आचार संहिता का उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने पर सीधा हमला भी माना जा रहा।
संदीप कुमार, कस्तुरी रंगराजन, पवन कुमार, रोहित कुमार तिवारी, अजित कुमार, उपेंद्र कुमार, दीपक कुमार वर्मा, अमित कुमार सहाय, राजीव कुमार सिंहा, मनीष प्रसाद और शाहिद अनवर जैसे कर्मियों ने डीएम को दिए आवेदन में लिखा है कि डीटीओ द्वारा अमर्यादित भाषा, गाली-गलौज और अपमानजनक व्यवहार आम बात हो चुकी है। आरोप है कि दो चलंत दस्ता सिपाही अर्जुन सिंह और कौशल किशोर कुमार के साथ मिलकर डीटीओ कार्यालय को अपनी निजी जागीर की तरह अभी भी चला रहे ।
कर्मचारियों का दावा है कि ये तीनों बिना अवकाश स्वीकृति के अक्सर कार्यालय से नदारद रहते हैं, जबकि अन्य कर्मियों को बीमारी की हालत में भी छुट्टी नहीं दी जाती। अवकाश मांगना मानो गुनाह बन चुका है। इतना ही नहीं, गलत ढंग से कार्य करने का दबाव बनाया जाता है, जिससे नौकरी जाने का डर हमेशा सिर पर मंडराता रहता है। कर्मचारियों का कहना है कि डीटीओ और उनके खास मातहतों के कारण मीडिया ट्रायल चल रहा है, जिससे पूरे विभाग की बदनामी हो रही है और मानसिक अवसाद का माहौल बन गया है। ये शिकायत डीटीओ के खिलाफ की गई। सवाल है कि इतने शिकायत के बावजूद आखिर डीटीओ साहब पर किसका हाथ है जो कार्रवाई नहीं हो रही है।
दूसरी ओर, लखीसराय परिवहन विभाग की गलियों में ‘कानून’ नहीं, बल्कि खौफ की भाषा गूंज रही है। कागजों में सरकार ओवरलोडिंग पर सख्ती के दावे करती है, मगर ज़मीनी हकीकत में आरोप है कि डीटीओ और उनके सहयोगी एक संगठित उगाही तंत्र चला रहे हैं। News4Nation को मिली शिकायतों के मुताबिक ओवरलोड जांच के नाम पर ट्रैक्टर, पिकअप, ट्रक, टेंपो और टोटो तक को जबरन कैंपस में खींच लाया जाता है। कागजात पूरे होने के बावजूद चालान और जब्ती की धमकी दी जाती है इशारा साफ होता है, समझदारी दिखाओ, वरना नुकसान तय है।
जब यह पूरा मामला News4Nation ने उजागर किया, तब जाकर प्रशासन की कुंभकर्णी नींद टूटी। मामले की गंभीरता को देखते हुए परिवहन विभाग के सचिव ने लखीसराय डीटीओ से स्पष्टीकरण तलब किया। सचिव के पत्र में यह भी उल्लेख है कि विधायक प्रहलाद यादव ने डीटीओ पर पद के दुरुपयोग और अवैध वसूली का परिवाद दिया है।
अब सवाल यह है कि क्या यह मामला सिर्फ स्पष्टीकरण तक सीमित रहेगा, या फिर सिस्टम के भीतर जमी इस डर की सल्तनत पर वाकई कोई ठोस कार्रवाई होगी? कर्मचारी साफ कह रहे हैं या तो उन्हें इस भयावह माहौल से निजात दिलाई जाए, या फिर सभी का तबादला कर दिया जाए। बहरहाल यह मामला लखीसराय के डीएम के लिए यह एक अग्निपरीक्षा बन चुका है।
धीरज पराशर की विशेष रिपोर्ट