नाले के पानी में डूब गया बड़हिया बाईपास, एनएच 80 पर वन-वे ट्रैफिक में फंसे हजारों वहां, बजबजाती सड़क ने किया जीना मुहाल

Barhiya bypass- फोटो : news4nation

Lakhisarai News: बड़हिया नगर परिषद में विकास ने ऐसी करवट ली कि सड़कें डूब गईं, गाड़ियाँ थम गईं और जनता बहते पानी में बदहाल है। यह स्थिति तब है जब मानसून की फुहारें ही शुरू हुई हैं, अगर झमाझम बारिश का दौर शुरू हो जाए तब क्या नारकीय स्थिति होगी उससे लोगों में अभी से भय है. करोड़ों की लागत से बना नाला पानी संभाल नहीं पाया, और जब उसने बहने से इनकार किया तो सड़क ने जिम्मेदारी उठा ली, पूरी सड़क जलमग्न हो गई। शहर में जिस नाले को जलनिकासी का नायक बनाना था, वही अब 'गली-मोहल्लों का जलजाम' बन गया।


बाईपास बना टापू, गाड़ियाँ बनीं नाव

इस योजना के झोलझाल का सीधा असर बड़हिया बाईपास पर पड़ा है जो बुधवार रात से बंद पड़ा रहा। गाड़ियों की कतारें लंबी होती गईं, वन-वे ट्रैफिक से स्थिति और उलझती रही। दरअसल, बड़हिया बाईपास में कुछ महीने पूर्व ही नाला बना था. शुरुआती डिजाइन के मुताबिक नाले का पानी काली स्थान की तरफ बने एसटीपी (Sewage Treatment Plant) से जोड़ना था, लेकिन वहां एसटीपी बना ही नहीं। फिर निर्णय लिया गया कि नाला गढ़तर दिशा की ओर मोड़ा जाए, पर रास्ते में अड़चन बन गई  और वहां नेशनल हाईवे (NH) से NOC नहीं मिला था. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी का कहना है कि अब एनओसी मिल गया है. लेकिन उसके पहले  बड़हिया बाईपास बदहाल हो गया है. 


एक घंटे में एक किमी सफर

नगर परिषद का कहना है कि अब नाले को गढ़तर वाले निकासी बिंदु से जोड़ दिया गया है और सड़क पर से पानी हट चुका है। यानी जलजमाव अब बीते कल की बात है। हालांकि इन दावों से उलट बड़हिया बाईपास पर भारी जलजमाव होने के कारण बुधवार से कई घंटे यह मार्ग बंद रहा. नतीजा रहा कि पटना और लखीसराय से आने-जाने वालों वाहनों को एनएच 80 पर लोहिया चौक के रास्ते ही वन-वे करके परिचालित किया गया. इससे एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय करने में वाहनों को एक घंटे तक का समय लगा. 


बदहाल व्यवस्था पर भड़के लोग

अनियोजित प्लान और घटिया निर्माण का आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों का कहना है कि क्या बिना योजना की मंजूरी, एनओसी के अभाव और अधूरी तैयारियों के साथ निर्माण शुरू करना जनता के साथ अन्याय नहीं है?  गुस्साए लोगों का कहना है कि बड़हिया में नाला तो अब सही दिशा में बहने लगे यह हम सब चाहते हैं पर विश्वास और व्यवस्था का बहाव अभी भी उलटी दिशा में महसूस हो रहा है। एनओसी, एसटीपी, डिजाइन और विभागीय कामकाज — सबने मिलकर एक ऐसा झमेला खड़ा किया कि स्मार्ट बड़हिया के बदले सड़ाध मारता बड़हिया हो गया है. 

लखीसराय से कमलेश की रिपोर्ट