Bihar Health:स्वास्थ्य मंत्री पांडेय जी के स्वास्थ्य विभाग की बीमार हकीकत, प्रभारी डॉक्टर साहब डेरा पर करते हैं आराम, मरीजों के इलाज पर विराम
Bihar Health: प्रभारी साहब बिना छुट्टी लिए मुजफ्फरपुर में डेरा जमाए बैठे हैं और अस्पताल में मरीज कराह रहे हैं....
Bihar Health: मोतीहारी से एक और ‘बदसूरत’ लेकिन हकीकत में शर्मनाक किस्सा सामने आया है, जो बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था के उस ‘नस’ को दबा रहा है, जहाँ दर्द है, इलाज नहीं। यह कहानी किसी क्राइम थ्रिलर से कम नहीं बस फर्क इतना कि यहाँ ‘कातिल’ बीमारी है और ‘साजिश’ में सरकारी लापरवाही का नाम है।
मधुबन पीएचसी के प्रभारी साहब बिना छुट्टी लिए मुजफ्फरपुर में डेरा जमाए बैठे हैं, जैसे पीएचसी उनकी ‘शाखा’ हो और मरीज उनका व्हाट्सऐप ग्रुप जहाँ बस ऑनलाइन रिप्लाई से ही काम चल जाता है। उधर पीएचसी में मरीज एंबुलेंस की सायरन नहीं, बल्कि अपनी कराह सुन रहे हैं।
मधुबन के विधायक, जो खुद बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रह चुके हैं, अचानक पीएचसी का दौरा करते हैं। यहाँ उन्हें न तो प्रभारी मिलता है और न ही ढंग की व्यवस्था। मजबूरी में वे मोबाइल उठाकर सीधे साहब को फोन लगाते हैं। और फिर जो बातचीत होती है, वो अब सोशल मीडिया का नया ‘ट्रेंडिंग ऑडियो’ बन चुकी है।
विधायक जी ने कहा कि बिहार में पहला डॉक्टर देखा हूँ, जो मुजफ्फरपुर में रहकर मधुबन पीएचसी में इलाज करता है। डेरा पर रहिए, ऑनलाइन वेतन तो मिल ही जाएगा।"
आगे ठिठोली करते हुए कहते हैं, "मरीजों को कह देते हैं, साहब के डेरा पर मुजफ्फरपुर जाइए… कष्ट न दीजिए।
उधर से डॉक्टर साहब की दलील है कि पत्नी की तबीयत खराब है, इसलिए अस्पताल नहीं आया।
विधायक जीने कहा कि बीमारी तो आपकी व्यवस्था को भी हो गई है, उसका इलाज कौन करेगा?
वीडियो और ऑडियो वायरल होते ही लोगों के कमेंट की बारिश शुरू हो गई।कोई कह रहा, "ये है पांडेय जी का ‘स्वस्थ बिहार’—डॉक्टर डेरा में, मरीज ‘डेथ बेड’ में।"तो कोई लिख रहा, "पीएचसी का नाम बदलकर ‘मुजफ्फरपुर शाखा मधुबन’ रख दीजिए।"
कुछ ने तो मीम बनाकर डाक्टर साहब को ‘वर्क फ्रॉम डेरा’ का ब्रांड एंबेसडर घोषित कर दिया। वीडियो की न्यूज4नेशन पुष्टि नहीं करता है।
मोतीहारी में स्वास्थ्य विभाग की हालिया कहानियाँ वैसे भी किसी अपराध रिपोर्ट से कम नहीं।कभी अस्पताल की दवा चाय दुकान पर बिकती पकड़ी जाती है।कभी अस्पताल कर्मी प्लास्टर ऑफ पेरिस बेचते हैं।कभी गर्भवती महिलाओं के किट का वितरण कागज़ी रिकॉर्ड में ही होता है और अब पीएचसी प्रभारी का डेरा स्कैंडल इस लिस्ट में नया अध्याय जोड़ रहा है।लेकिन अफसोस, यहाँ केस दर्ज होने से पहले वीडियो ट्रेंड होता है, और कार्रवाई का हश्र बस ‘मीटिंग और चेतावनी’।
मधुबन पीएचसी की यह कहानी सिर्फ एक अस्पताल की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की बीमार नब्ज़ का खुला एक्स-रे है, जहाँ डॉक्टरों के कमरे खाली हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर उनकी मौजूदगी फुल टाइम है।
रिपोर्ट- हिमांशु कुमार