Bihar News: बिहार के 'घोटालेबाज DEO' निलंबित लेकिन मास्टरमाइंड AE-JE के खिलाफ अब तक नहीं हुई कार्रवाई, शिक्षा विभाग की 'मेहरबानी' से हड़कंप
Bihar News: बिहार के मोतिहारी से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां सरकारी स्कूलों में बड़े अधिकारियों के द्वारा घोटाला किया गया है, इस मामले में शिक्षा विभाग ने डीईओ पर तो कार्रवाई कर दी है लेकिन मास्टरमाइंड AE और JE पर अब तक कार्रवाई नहीं
Bihar News: पूर्वी चंपारण जिले में स्कूल भवनों की मरम्मत और बेंच-डेस्क खरीद में हुए बड़े पैमाने पर अनियमितता मामले ने तूल पकड़ लिया है। मामले की जांच में लापरवाही बरतने पर तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) को निलंबित कर दिया गया है। जबकि वर्तमान DEO के खिलाफ प्रपत्र क की कार्रवाई की जा रही है। लेकिन इस पूरे घोटाले में अहम भूमिका निभाने वाले सहायक अभियंता (AE) और कनीय अभियंता (JE) के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से शिक्षा विभाग की 'मेहरबानी' पर सवाल उठने लगे हैं।
बिना मरम्मत हुए ही किया गया भुगतान
घोटाले की परतें डीडीसी (उप विकास आयुक्त) की जांच रिपोर्ट में खुलकर सामने आई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जिले के रामगढ़वा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय पनटोक में मरम्मत के नाम पर फर्जी मापी पुस्तिका तैयार की गई। AE और JE द्वारा तीन कमरों में कोटा स्टोन लगाने की बात दर्ज की गई, जबकि मौके पर जांच टीम को केवल दो कमरों में ही काम हुआ मिला। इतना ही नहीं तीन कमरों में सीलिंग प्लास्टर का कार्य दिखाकर भुगतान भी करा दिया गया, लेकिन जांच में कहीं भी सीलिंग प्लास्टर का नामोनिशान नहीं मिला। स्कूल के प्रधानाध्यापक द्वारा 4 लाख 99 हजार रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई। जबकि एक वेंडर को 4.89 लाख रुपये का कार्य दिखाकर भुगतान कराया गया।
बेंच-डेस्क में भी भारी गड़बड़ी
डीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ 19 विद्यालयों की जांच में ही भारी गड़बड़ियां उजागर हुई हैं। जिसमें बेंच-डेस्क की खरीद और मरम्मत दोनों में अनियमितता और घोटाले के स्पष्ट प्रमाण मिले। जांच टीम की रिपोर्ट ने स्पष्ट किया कि AE और JE ने मापी पुस्तिका में जानबूझकर फर्जी प्रविष्टियां कीं। जिससे वेंडर को सरकारी राशि का गलत तरीके से भुगतान किया गया।
शिक्षा विभाग की चुप्पी पर सवाल
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जहां DEO पर तुरंत कार्रवाई की गई। वहीं AE और JE पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यह विभागीय 'मेहरबानी' जनता और शिक्षा विभाग के अंदर भी चर्चा का विषय बनी हुई है। सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या इंजीनियरों पर विभाग की पकड़ कमजोर है, या फिर उन्हें ऊंचे संरक्षण का लाभ मिल रहा है? वहीं सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं। विभागीय सूत्रों ने संकेत दिया है कि अन्य प्रखंडों में भी इसी तरह की जांच की जाएगी, जिससे और बड़े घोटाले उजागर हो सकते हैं।