Bihar News : फिजूल खर्ची बचाने की कवायद : बिना बैंड बाजा के लड़के के दरवाजे पर बारात लेकर पहुंची दुल्हन, अनोखी शादी की खूब हो रही सराहना
Bihar News : फिजूल खर्ची रोकने के लिए दुल्हन से अजीबोगरीब शर्त रखी. जिसे ससुराल पक्ष के लोग भी मान गए. इस शादी की चर्चा अब पुरे इलाके में की जा रही है....पढ़िए आगे

Motihari : 21वीं सदी में देश बदल रहा है और समाज बदल रहा है। साथ-साथ लोगों का नजरिया भी बदल रहा है। आज की युवा पीढ़ी पुराने परंपराओं को तोड़कर नई परंपरा की शुरुआत भी कर रहे हैं और परंपराओं की जंजीर को झट से तोड़कर नई इबादत भी लिख रहे हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है पश्चिमी चंपारण की बेटी और पूर्वी चंपारण के बेटे ने। दोनों की शादी ठीक हुई थी। दोनों घर के लोग शादी की तैयारी में जुटे थे। लेकिन बढ़ते खर्च और महंगाई को देखते हुए लड़की ने खुद दूल्हे को फोन कर फिजूलखर्ची और बेकार के रस्मों को खत्म कर नए तरीके से शादी करने का प्लान बना लिया।
पश्चिमी चंपारण की बगहा नगर परिषद क्षेत्र की पल्लवी कुमारी के मन में कुछ अलग करने का जज्बा था और इस जज्बे के तहत पल्लवी कुमारी ने दूल्हे सुरेश कुमार को खुद से फोन किया और यह समझाया की पूर्वी चंपारण की ढाका से बगहा आने में बारातियों को लाने में काफी खर्च होंगे। बेकार के पैसे बर्बाद होंगे। इससे अच्छा है कि हम लोग बिना तम-धाम के शादी करके एक दूसरे के हो जाए। यह आइडिया दूल्हे सुदेश कुमार को पसंद आया। सुरेश कुमार के परिवार वाले तैयार नहीं हुये। लेकिन नई नवेली होने वाली दुल्हन के कहने पर परिवार वालों ने हामी भर दी। उसने यह समझाया की भाग दौड़ की जिंदगी और फिजूल खर्ची और दिखावा के कारण पहले भी हम लोग कर्ज में डूबे थे। इस बार भी अगर फिजूल खर्ची हुई तो मेरे परिवार के साथ-साथ दूल्हे का परिवार भी कर्ज में डूब जाएगा। इसलिए खर्च बढ़ाने के लिए एकदम सादी विधि व्यवस्था में शादी हो जाए। लड़की खुद बगहा से चलकर लड़के वालों के घर पहुंच गई। बिना बैंड बाजा और बिना काम धाम के साथ दोनों की शादी हुई और पल्लवी ने इस मान्यता को खत्म कर दिया कि लड़का ही बाराती लेकर आता है। बल्कि इस बार पल्लवी खुद अपने घर परिवार और सगे संबंधियों की साथ बारात लेकर पूर्वी चंपारण के ढाका के सुरेश कुमार के घर पहुंची। दोनों की शादी हुई ना बैंड बाजा ना खाना पीना हुआ ना कोई खर्ची हुई।
वही गांव के लोगों ने लड़के और लड़के की इस व्यावहारिक सोच का कमाल बताया तो वहीं दूसरी तरफ पल्लवी कुमारी को इस कड़ी फैसले ने साबित कर दिया कि महिलाएं सामाजिक बंधनों को तोड़ सकती हैं। समाज में आगे बढ़ सकती है और सामाजिक फैसला भी ले सकती हैं। सवाल यह उठता है कि क्या वाकई में पल्लवी कुमारी ने जो समाज में नए बदलाव की क्रांति लाई है या महज एक खबर बनाकर रह जाती है या आने वाले दिनों में लोग इस परंपरा को सीख कर खुद को आत्मसात करेंगे और फिजूल खर्ची की शादी से खुद को बचा पाएंगे।
मोतिहारी से हिमांशु की रिपोर्ट