BRABU news: ज्ञान के संग विज्ञान की उड़ान, बिहार विश्वविद्यालय अब बनाएगा फिनाइल, माउथवॉश और टूथपाउडर

BRABU News:बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय ने अकादमिक जगत की सीमाओं को लांघते हुए नवाचार की दिशा में ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है।

ज्ञान से निर्माण की ओर- फोटो : Hiresh Kumar

BRABU News: बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय ने अकादमिक जगत की सीमाओं को लांघते हुए नवाचार की दिशा में ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। विश्वविद्यालय अपने पहले स्वनिर्मित उत्पाद—फिनाइल, माउथवॉश एवं टूथ पाउडर—को शीघ्र ही बाजार में उतारने की तैयारी में है। यह पहल न केवल शैक्षणिक क्षेत्र में एक नयी परंपरा का सूत्रपात करेगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को भी बल प्रदान करेगी।

इन उत्पादों के नमूने सूक्ष्मजीव संबंधी परीक्षण हेतु लखनऊ भेजे गए हैं, जिसकी रिपोर्ट इस माह के अंत तक आने की संभावना है। रिपोर्ट के प्राप्त होते ही ये हर्बल उत्पाद बाजार में लांच कर दिये जाएंगे। ये सभी उत्पाद विश्वविद्यालय के पीजी केमेस्ट्री विभाग में डॉ. अभय एन. श्रीवास्तव की देखरेख में तैयार किए गए हैं।

बता दें कि ये उत्पाद पूर्णतः हर्बल हैं, जिनमें रासायनिक तत्वों का लेशमात्र भी प्रयोग नहीं किया गया है। नीम, तुलसी एवं मीठी तुलसी जैसे प्राकृतिक अवयवों से युक्त इन उत्पादों में केवल जल का उपयोग हुआ है, जिससे किसी प्रकार के दुष्प्रभाव की आशंका नहीं है। इनकी हर्बल प्रकृति के कारण इनकी आयु सीमित अवश्य होगी, किंतु गुणवत्ता और प्रभावशीलता में कोई कमी नहीं रहेगी।

इस अभिनव प्रयास के माध्यम से बिहार विश्वविद्यालय राज्य का पहला ऐसा उच्च शिक्षण संस्थान बनने जा रहा है, जिसका कोई स्वदेशी उत्पाद जनसामान्य के लिए बाजार में उपलब्ध होगा। छात्रों एवं शिक्षकों के मध्य इस प्रयास को लेकर विशेष उत्साह देखा जा रहा है, जिससे विश्वविद्यालय में नवाचार और उद्यमिता की भावना को नई गति मिलेगी।

यह सबकुछ संभव हो सका है विश्वविद्यालय में स्थापित इन्क्यूबेशन सेल की स्थापना के बाद। कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय के मार्गदर्शन में गठित इस प्रकोष्ठ के लिए कार्ययोजना तत्कालीन कुलसचिव प्रो. अपराजिता कृष्णा द्वारा तैयार की गई थी। उसी क्रम में फिनाइल निर्माण के प्रस्ताव को स्वीकृति मिली और केमेस्ट्री विभाग ने अनुसंधान आरंभ किया।

प्रो. श्रीवास्तव के अनुसार, भविष्य में अन्य हर्बल उत्पादों के निर्माण पर भी विचार चल रहा है, जो विश्वविद्यालय को शोध के साथ-साथ स्वावलंबन की ओर भी अग्रसर करेगा। यह प्रयास छात्र-छात्राओं में उद्यमशीलता की भावना को सशक्त करेगा और शिक्षा को केवल डिग्री तक सीमित न रखते हुए व्यावहारिक जीवन से जोड़ने का कार्य करेगा।