Bihar election Result 2025: बिहार का नालंदा बना सियासी हॉटस्पॉट, नीतीश के गढ़ में कांटे की टक्कर
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नालंदा जिले की सातों सीटों पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस और जन सुराज के बीच सीधा संघर्ष है। जानिए किस सीट पर कौन मुकाबले में आगे है और कहाँ है नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर।
Bihar election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों से पहले नालंदा जिला एक बार फिर सुर्खियों में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक गढ़ माने जाने वाला यह इलाका इस बार राज्य की सबसे चर्चित सीटों में शामिल है। यहां की सातों सीटों — राजगीर, इस्लामपुर, हिलसा, हरनौत, अस्थावां, बिहारशरीफ और नालंदा — पर मुकाबला बेहद दिलचस्प और प्रतिष्ठापूर्ण बन चुका है।
नीतीश के आदर्श क्षेत्र में कड़ी परीक्षा
राजगीर विधानसभा सीट लंबे समय से जेडीयू का सुरक्षित इलाका मानी जाती रही है।इस बार कौशल किशोर (जेडीयू) को ई. विश्वनाथ चौधरी (सीपीआई) और सत्येंद्र पासवान (जन सुराज) से कड़ी चुनौती मिल रही है। सत्येंद्र पासवान पिछड़े वर्ग और युवाओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर चुके हैं,जबकि विश्वनाथ चौधरी किसान वर्ग में सक्रिय हैं। राजगीर में हर वोट नीतीश की प्रतिष्ठा से जुड़ा है।
इस्लामपुर पुराने प्रतिद्वंद्वी, नया समीकरण
इस्लामपुर में मुकाबला एक बार फिर पुराने चेहरों के बीच है।रुहेल रंजन (जेडीयू) और राकेश रौशन (आरजेडी) आमने-सामने हैं,जबकि तनुजा कुमारी (जन सुराज) ने महिला मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित किया है।यहां यादव और कुर्मी समुदाय का वोट निर्णायक माना जा रहा है।इस सीट का परिणाम पूरे जिले की दिशा तय कर सकता है।
हिलसा संगठन बनाम जनसंपर्क की परीक्षा
हिलसा में प्रेम मुखिया (जेडीयू) और शक्ति सिंह यादव (आरजेडी) के बीच सीधी टक्कर है।जन सुराज के उमेश कुमार कुछ ग्रामीण इलाकों में पकड़ बना चुके हैं,लेकिन असली संघर्ष दो प्रमुख गठबंधनों के बीच ही है। यह सीट नीतीश बनाम तेजस्वी की सियासी परीक्षा बन गई है।
हरनौत नीतीश की गृह सीट पर साख का सवाल
हरनौत, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अपनी विधानसभा सीट मानी जाती है।यहां हरिनारायण सिंह (जेडीयू), अरुण बिंद (कांग्रेस) और कमलेश पासवान (जन सुराज) के बीच त्रिकोणीय संघर्ष है।जन सुराज के उदय ने पारंपरिक समीकरण बिगाड़ दिए हैं।नीतीश के लिए यह सिर्फ एक सीट नहीं, बल्कि राजनीतिक सम्मान की परीक्षा है।
अस्थावां डॉक्टरों की टक्कर
अस्थावां सीट पर दो शिक्षित उम्मीदवार आमने-सामने हैं डॉ. जितेंद्र कुमार (जेडीयू) और रवि रंजन कुमार (आरजेडी)। तीसरे मोर्चे से लता सिंह (जन सुराज) ने महिला और युवा वर्ग में अपनी पकड़ बनाई है। यह सीट तय करेगी कि जनता विकास के मुद्दे को तरजीह देती है या बदलाव को।
बिहारशरीफ भाजपा की साख बनाम कांग्रेस की चुनौती
बिहारशरीफ सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का केंद्र है। डॉ. सुनील कुमार (भाजपा) अपने गढ़ को बचाने में जुटे हैं,जबकि उमैअर खां (कांग्रेस) मुस्लिम और युवा वोटरों के सहारे मैदान में हैं।यहां दिनेश कुमार (जन सुराज) और निर्दलीय मनोज तांती भी मुकाबले को रोचक बना रहे हैं। यह सीट सत्ता की निरंतरता और परिवर्तन के बीच संतुलन साधे हुए है।
नालंदा सीट श्रवण कुमार बनाम छोटे मुखिया
नालंदा विधानसभा में जेडीयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री श्रवण कुमार का सामना कांग्रेस के कौशलेंद्र उर्फ छोटे मुखिया से है। यहां जन सुराज की पूनम सिन्हा भी मैदान में हैं, जिनकी महिला वोटरों में मजबूत उपस्थिति है। यह सीट सत्ता की स्थिरता और नई ऊर्जा के बीच का संघर्ष बन चुकी है।
नालंदा की सियासत नीतीश के लिए प्रतिष्ठा, विपक्ष के लिए उम्मीद
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नालंदा की सात सीटें बिहार के नतीजों की दिशा तय कर सकती हैं।यदि यहां जेडीयू कमजोर होती है, तो इसका असर पूरे राज्य के चुनाव परिणामों पर दिखेगा। नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव सिर्फ सत्ता की नहीं, बल्कि उनकी राजनीतिक विरासत की परीक्षा है।