Bihar Flood: बिहार के 9 जिलों पर मंडराया बाढ़ का जबरदस्त खतरा,फरक्का बराज के 108 द्वार पूरी तरह खोले गए...सावधान!
गंगा का जलस्तर बेकाबू हो चला है और स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि फरक्का बराज के सभी 108 गेट खोल दिए गए हैं। सोमवार की रात गंगा ने फरक्का में भी खतरे के निशान को पार कर लिया...
Bihar Flood: बिहार एक बार फिर प्रकृति की क्रूर परीक्षा से गुजर रहा है। बक्सर से कहलगांव तक गंगा का जलस्तर बेकाबू हो चला है और स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि फरक्का बराज के सभी 108 गेट खोल दिए गए हैं। सोमवार की रात गंगा ने फरक्का में भी खतरे के निशान को पार कर लिया, वहीं मंगलवार की शाम तक पटना में जलस्तर 43 सेमी और फरक्का में 20 सेमी ऊपर दर्ज किया गया। नतीजा—तटबंध कांपने लगे हैं, गांव डूबने लगे हैं और अफसरों की नींद उड़ चुकी है।
जल संसाधन विभाग ने युद्ध स्तर पर मोर्चा संभालते हुए 600 तटबंध सुरक्षाकर्मियों और 45 अभियंताओं को चौबीसों घंटे की ड्यूटी पर लगा दिया है। तटबंधों पर रात्रि पेट्रोलिंग शुरू है, लेकिन पानी की रफ्तार किसी चेतावनी से नहीं डर रही।
नेपाल में मूसलधार बारिश ने कोसी और बूढ़ी गंडक को उफान पर ला दिया है। खगड़िया में बूढ़ी गंडक 41 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, वहीं कोसी ने सुपौल और सहरसा में लाल निशान तोड़ दिया है। महानंदा भी डाउनस्ट्रीम में खतरे की ओर बढ़ रही है।
इस प्राकृतिक संकट का सबसे बुरा असर पूर्वी बिहार और सीमांचल के जिलों में दिख रहा है। भागलपुर के सबौर, कहलगांव और पीरपैंती में गंगा की तेज धाराएं कृषि योग्य भूमि निगल रही हैं, जबकि मुंगेर के बरियारपुर में गांव जलमग्न हो चुके हैं। कहलगांव में जलस्तर 26 सेमी ऊपर जा पहुंचा है।
लेकिन संकट केवल पानी तक सीमित नहीं। बिहार का बुनियादी ढांचा भी चरमराने लगा है। किशनगंज के लोहागाड़ा में नाबार्ड की योजना से बना पुल बारिश में धंस गया, तो फारबिसगंज में सीताधार पुल का स्लैब बैठ गया, जिससे हाईवे पर यातायात ठप है।
यह डबल ट्रैजेडी हैबाढ़ और बुनियादी बेबसी की। एक ओर उफनती नदियां तटबंधों को तोड़ने पर आमादा हैं, दूसरी ओर पुल-पुलिया की नींव पानी में बहती दिख रही है। ऐसे में आम जनता पलायन और परेशानी के बीच फंसी है।
अगर जल्द हालात नहीं संभाले गए, तो यह बाढ़ सिर्फ खेत-खलिहान नहीं, पूरे प्रशासनिक तंत्र की नाकामी को भी जलसमाधि दे सकती है। बिहार कगार पर खड़ा है अब सिर्फ एक लहर की देर है।