Bihar Assembly Election 2025: बिहार चुनाव विधानसभा इलेक्शन के लिए AIMIM ने तैयारी की तेज! असदुद्दीन ओवैसी ने बता किया कितने सीटों पर लड़ेंगे चुनाव, क्या रहेगा प्लान

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी तेज हो गई है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सीमांचल में 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं, जिससे महागठबंधन और एनडीए की रणनीतियों में हलचल है।

Asaduddin Owaisi
Asaduddin Owaisi- फोटो : social media

Bihar Assembly Election 2025: बिहार की राजनीति फिर से गरमाने लगी है। साल के अंत में संभावित विधानसभा चुनावों की आहट अब स्पष्ट रूप से सुनाई देने लगी है। सभी प्रमुख राजनीतिक दल—महागठबंधन, एनडीए और अब एआईएमआईएम—अपनी-अपनी चुनावी जमीन तैयार करने में लगे हुए हैं। इस बार खास बात यह है कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने सीमांचल की 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा करके राजनीतिक समीकरणों को और जटिल बना दिया है।

सीमांचल: AIMIM की राजनीतिक प्रयोगशाला

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बिहार के सीमांचल क्षेत्र में राजनीतिक दांव खेलना कोई नई बात नहीं है। 2020 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने यहां 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 5 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था। ये जीतें खास तौर पर मुस्लिम बहुल इलाकों जैसे किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार में मिली थीं।

इस बार ओवैसी ने अपने दौरे की शुरुआत भी यहीं से की है। किशनगंज में उनकी पार्टी की बैठक और बहादुरगंज में जनसभा इस बात का संकेत है कि AIMIM सीमांचल को अपनी मुख्य चुनावी प्रयोगशाला मान रही है। यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है और पारंपरिक रूप से यह वोटबैंक RJD या कांग्रेस के पक्ष में जाता रहा है। लेकिन AIMIM अब खुद को इस वर्ग का प्रतिनिधि बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रही।

ओवैसी का बिहार दौरा: केवल चुनावी शंखनाद या कुछ ज्यादा?

ओवैसी का दो दिवसीय बिहार दौरा केवल चुनावी अभियान की शुरुआत भर नहीं है, बल्कि यह सीमांचल से लेकर मिथिलांचल और तिरहुत तक AIMIM की राजनीतिक पकड़ मजबूत करने का प्रयास है।उनकी यात्रा का कार्यक्रम ध्यान से देखें तो वह मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के साथ-साथ कुछ मिश्रित जनसंख्या वाले क्षेत्रों में भी जा रहे हैं—जैसे दरभंगा, मोतिहारी और गोपालगंज।इस दौरे में वह न केवल जनसभाएं कर रहे हैं, बल्कि अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ रणनीति बैठकें भी कर रहे हैं। इससे AIMIM के संगठनात्मक विस्तार और स्थानीय नेताओं को सशक्त करने की मंशा भी स्पष्ट होती है।

क्या मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाएगी AIMIM?

बिहार की राजनीति में मुस्लिम वोट बैंक हमेशा से निर्णायक रहा है। 2023 की जातीय जनगणना के अनुसार राज्य की 17.7% आबादी मुस्लिम है, जो करीब 2.31 करोड़ है। RJD, कांग्रेस और अब JDU ने भी मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए काफी प्रयास किए हैं। लेकिन AIMIM की एंट्री इस समीकरण को बिगाड़ सकती है। 2020 में AIMIM ने न केवल खुद पांच सीटें जीतीं, बल्कि कई सीटों पर RJD के उम्मीदवारों की हार में भी उनकी भूमिका मानी गई। इससे स्पष्ट है कि ओवैसी की पार्टी मुस्लिम मतों में विभाजन कर सकती है।

महागठबंधन और NDA के लिए नई चुनौती

AIMIM का सीमांचल और आसपास के इलाकों में उभार महागठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। खासतौर पर RJD, जिसे परंपरागत मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण पर सबसे ज्यादा भरोसा रहा है।NDA को भी इस बदलते समीकरण से नुकसान या लाभ दोनों हो सकते हैं। यदि मुस्लिम वोटों का विभाजन होता है तो NDA को अप्रत्यक्ष फायदा मिल सकता है।