Bihar Politics: बिहार कांग्रेस के विधायक दल की बैठक आज, इन मुद्दों पर होगी चर्चा, सीट शेयरिंग को लेकर कर सकते हैं बड़ा फैसला
Bihar Politics: बिहार कांग्रेस ने आज विधायक दलों की बैठक बुलाई है। पटना के मौर्या होटल में कांग्रेस विधायक दलों की बैठक होगी। इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज है। सभी पार्टी अपने अपने स्तर से तैयारी में जुटे हुए हैं। वहीं राज्य में बीते तीन दशकों से सियासी जमीन तलाश रही कांग्रेस अब पुरानी गलतियों से सबक लेकर नए तेवर और रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में जुट गई है। पार्टी ने मतदाताओं और आम लोगों से दूरी कम करने के लिए संवाद और संपर्क अभियान को तेज किया है। खासकर उन मुद्दों पर कांग्रेस जोर दे रही है जिनका सीधा सरोकार युवाओं, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा व्यवस्था से है।
सरकार की घेराबंदी कर रही कांग्रेस
पार्टी बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) परीक्षार्थियों की समस्याओं, युवाओं के पलायन, रोजगार की कमी और सरकारी अस्पतालों में इलाज की अव्यवस्था जैसे विषयों को लेकर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। कांग्रेस का मानना है कि आम जनता से जुड़े ये ज्वलंत मुद्दे अगले विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
विधायक दल की बैठक
इसी क्रम में कांग्रेस ने आज यानी 15 जून को पार्टी विधायक दल की अहम बैठक बुलाई है। पटना के मौर्या होटल में बैठक होगी। जिसमें सभी विधायक, विधान पार्षद और वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार और बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू भी मौजूद रहेंगे। इस बैठक में तीन प्रमुख एजेंडों पर चर्चा होगी। जिसमें आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियां, जनहित के मुद्दों पर पार्टी की रणनीति और राज्यव्यापी आंदोलन की चरणबद्ध रूपरेखा तैयार किया जाएगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार, बैठक में राज्य की उन सीटों को चिन्हित किया जाएगा जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। इन सीटों की सूची तैयार कर महागठबंधन के संयोजक दलों को सौंपने की योजना है। जिससे सीट बंटवारे में पार्टी को प्राथमिकता दिलाई जा सके।
महागठबंधन की बैठक के बाद कांग्रेस की पहल
गौरतलब है कि कांग्रेस की यह बैठक महागठबंधन की हाल ही में संपन्न बैठक के आलोक में बुलाई गई है। पार्टी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि गठबंधन में कांग्रेस की भूमिका सिर्फ 'आंकड़ों की साझेदारी' तक सीमित न रहे, बल्कि संगठित और सक्रिय रूप से निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी हो। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस लंबे समय से राज्य की राजनीति में हाशिये पर रही है, लेकिन अगर वह आम लोगों के मुद्दों को आक्रामकता से उठाती है और जमीनी संगठन को मजबूत करती है, तो आने वाले चुनाव में अपनी स्थिति में सुधार कर सकती है।