Bihar Election Counting: बिहार चुनाव में EVM की सुरक्षा कैसे होती है? स्ट्रॉन्ग रूम और चाबी की पूरी जानकारी
Bihar Election Counting: जानें मतदान के बाद EVM कैसे सुरक्षित रहती है, स्ट्रॉन्ग रूम की चाबी किसके पास होती है और मतगणना कैसे की जाती है। बिहार चुनाव 2025 की पूरी प्रक्रिया पढ़ें।
Bihar Election Counting: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। मतगणना से पहले हर बार एक सवाल सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है कि आखिर EVM की सुरक्षा कैसे की जाती है और स्ट्रॉन्ग रूम की चाबी किसके नियंत्रण में रहती है?चुनाव आयोग का सिस्टम इतना पारदर्शी और सख्त है कि पूरी प्रक्रिया कई निगरानी स्तरों में पूरी की जाती है।यहां समझिए कि मतदान खत्म होने से लेकर मतगणना होने तक EVM की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है।
मतदान खत्म होने के बाद EVM की शुरुआती जांच
ज्यादातर लोगों को लगता है कि वोटिंग रुकते ही EVM सीधे स्ट्रॉन्ग रूम में बंद कर दी जाती है,लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता। सबसे पहले प्रीसाइडिंग अफसर मशीन की पूरी जांच करते हैं।मशीन में दर्ज कुल मतदान का रिकॉर्ड Form 17C में लिखा जाता है और हर उम्मीदवार के प्रतिनिधि को उसकी कॉपी दी जाती है।इस प्रक्रिया से किसी भी तरह के संदेह की गुंजाइश पहले ही खत्म हो जाती है।
EVM स्ट्रॉन्ग रूम तक कैसे पहुंचती है?
जब सारी औपचारिकताएं पूरी हो जाती हैं, तब EVM को सुरक्षा घेरे के साथ स्ट्रॉन्ग रूम की ओर ले जाया जाता है।पूरे रास्ते कैमरे से रिकॉर्डिंग चलती रहती है और राजनीतिक दलों के एजेंट भी इस यात्रा को देख सकते हैं।जिला निर्वाचन अधिकारी खुद इस पूरे संचालन की निगरानी करते हैं।
स्ट्रॉन्ग रूम क्या होता है और इसे इतना सुरक्षित क्यों माना जाता है?
स्ट्रॉन्ग रूम एक खास सुरक्षित कक्ष होता है जहाँ मतगणना से पहले सभी EVM रखी जाती हैं।यह कमरा सरकारी परिसर में ही बनाया जाता है और उसकी संरचना इतनी मजबूत होती है कि किसी तरह की अनधिकृत गतिविधि संभव ही नहीं रहती।खिड़कियों को पूरी तरह सील कर दिया जाता है, CCTV कैमरे चौबीसों घंटे चलते रहते हैं और बाहर केंद्रीय सुरक्षाबल तैनात रहते हैं। राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी बाहर से लगातार निगरानी कर सकते हैं।
स्ट्रॉन्ग रूम की चाबी किसके पास रहती है?
यही वह सवाल है जो हमेशा चर्चा में रहता है।चुनाव आयोग ने इसके लिए दोहरी सुरक्षा प्रणाली अपनाई है।स्ट्रॉन्ग रूम पर दो ताले लगाए जाते हैं।एक ताले की चाबी रिटर्निंग ऑफिसर के पास रहती है और दूसरी चाबी असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर के पास। दोनों चाबियां कभी भी एक ही व्यक्ति को नहीं दी जातीं।मतगणना वाले दिन स्ट्रॉन्ग रूम इन्हीं दोनों अधिकारियों की मौजूदगी में उम्मीदवारों और CCTV कैमरे की निगरानी के साथ खोला जाता है।
काउंटिंग हॉल में EVM की दोबारा पुष्टि
जब मशीनें काउंटिंग हॉल लायी जाती हैं तब उनकी सील, बूथ नंबर और मशीन नंबर को दोबारा मिलाया जाता है।यही प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि मतदाता जिस बूथ पर वोट देकर आए थे, उसी मशीन की गिनती हो रही है।
वोटों की गिनती कैसे होती है?
मतगणना के दिन कंट्रोल यूनिट में Result बटन दबाने पर मशीन में दर्ज सारे वोट उम्मीदवारों के नाम के साथ स्क्रीन पर दिखाई दे जाते हैं।हर मशीन के आंकड़े अलग-अलग फॉर्म में दर्ज किए जाते हैं और इसी तरह कुल परिणाम तय होता है।मतगणना की शुरुआत पोस्टल बैलेट से होती है और उसके बाद EVM की गणना शुरू होती है। यही वजह है कि शुरुआती रुझान सुबह लगभग 9 बजे से आने लगते हैं।
बिहार चुनाव 2025: रिकॉर्ड मतदान
इस चुनाव में 67.13 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया,जो 1951 के बाद बिहार के इतिहास में सबसे अधिक है। इतना भारी मतदान इस बार के नतीजों को और रोमांचकारी बना रहा है।