IAS Sanjeev Hans: IAS संजीव हंस की बढ़ी मुश्किलें! जेल में बंद उनके सहयोगी रिशू रंजन के खिलाफ दूसरी FIR दर्ज , SUV ने ढूंढ निकाला गहरा राज
IAS Sanjeev Hans: बिहार में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरे IAS संजीव हंस और रिशु श्री के खिलाफ विशेष निगरानी इकाई ने दूसरी FIR दर्ज की। जानें पूरी जांच की जानकारी।

IAS Sanjeev Hans: बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही बड़ी मुहिम के तहत राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजीव हंस और उनके करीबी सहयोगी रिशु रंजन सिन्हा उर्फ रिशु श्री पर शिकंजा कसता जा रहा है। स्पेशल विजिलेंस यूनिट (SVU) ने गुरुवार को इन दोनों के खिलाफ दूसरी प्राथमिकी दर्ज की है, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है।
क्या है पूरा मामला?
संजीव हंस पहले से ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के घेरे में हैं और इस समय जेल में बंद हैं। हाल ही में ईडी की सिफारिश पर ही विशेष निगरानी इकाई ने इनके खिलाफ पहली प्राथमिकी दर्ज की थी। अब दूसरी अनुशंसा के आधार पर एक और एफआईआर दर्ज की गई है।ईडी की जांच में यह स्पष्ट हुआ था कि हंस के लिए रिशु श्री मनी ट्रांजेक्शन का मध्यस्थ था और विभिन्न निर्माण से जुड़ी कंपनियों के बीच रिश्वत और कमीशन का लेन-देन करवाता था।
रिशु श्री की पहुंच और भूमिका
रिशु रंजन सिन्हा उर्फ रिशु श्री, बिहार के सरकारी महकमों और विशेष रूप से आईएएस लॉबी में काफी प्रभावशाली माना जाता है। वह भवन निर्माण विभाग सहित कई परियोजनाओं से जुड़ा रहा है।प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी के दौरान 2.75 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए थे, जिनका संबंध रिशु श्री से जुड़ा पाया गया।
जांच के नए आयाम
ईडी की तरफ से जुटाए गए डिजिटल सबूतों और वित्तीय दस्तावेजों के आधार पर यह प्रमाणित हुआ कि रिशु श्री भवन निर्माण, सिविल निर्माण और सड़क परियोजनाओं में मध्यस्थता कर रहा था। संजीव हंस के लिए रिशु कई अधिकारियों से कनेक्शन का फायदा उठाकर सौदे करवाता था। रिशु के करीब 12 वरिष्ठ अधिकारियों से सीधे संपर्क थे, जो निर्माण कार्यों में संलग्न विभागों में तैनात थे।
सरकार की स्वीकृति और कानूनी प्रक्रिया
ईडी की रिपोर्ट के बाद बिहार सरकार ने गृह विभाग के माध्यम से महाधिवक्ता कार्यालय से विधिक सलाह ली। जब महाधिवक्ता कार्यालय से हरी झंडी मिली, तब विशेष निगरानी इकाई ने इस मामले में दूसरी प्राथमिकी दर्ज की।
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती के संकेत
यह मामला यह दर्शाता है कि बिहार में सरकार भ्रष्टाचार के मामलों पर सख्ती से कार्रवाई करने के मूड में है। राज्य में उच्च पदस्थ अधिकारियों के खिलाफ हो रही कार्रवाई यह संकेत देती है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है।