bihar drinking water problem - गर्मी में पेयजल की समस्या से निबटने के लिए PHED ने कर ली बड़ी तैयारी, पंचायतों के लिए मरम्मती दल के गठन का निर्देश

PATNA - लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा राज्यभर में संचालित जलापूर्ति योजनाओं की समीक्षा हेतु विभागीय प्रधान सचिव पंकज कुमार की अध्यक्षता में विभागीय मुख्यालय में बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सभी प्रमंडलीय मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता एवं कार्यपालक अभियंता शामिल हुए। दो सत्रों में चली बैठक में विभागीय योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक में सर्वप्रथम प्रधान सचिव द्वारा चापाकल मरम्मति कार्य को तेज़ी से पूरा करने हेतु अधीक्षण अभियंताओं को प्रत्येक 3–4 पंचायतों पर एक मरम्मति दल के गठन का निर्देश दिया गया है। इन दलों के माध्यम से एक सप्ताह के भीतर मरम्मति कार्य कर सभी खराब चापाकलों को पुनः क्रियाशील किया जाएगा ।
विदित हो कि विभाग द्वारा मार्च के दूसरे सप्ताह से ही चापाकल मरम्मति अभियान भी चलाया जा रहा है। जिन क्षेत्रों में वर्तमान में टैंकर से पेयजल आपूर्ति की जा रही है, वहां प्राथमिकता के आधार पर नए चापाकल स्थापित करने के निर्देश दिए गए, ताकि दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित किया जा सके ।
समीक्षा के दौरान राज्य में बंद पड़ी योजनाओं को पुनः जल्द चालू करने के निर्देश दिए गए। अनुरक्षण एवं संपोषण नीति के तहत मोटर, स्टार्टर जैसे उपकरणों की मरम्मति 24 घंटे के भीतर किए जाने पर बल दिया गया। साथ ही यह निर्देश दिया गया कि O&M मद से भुगतान केवल उन योजनाओं के लिए किया जाए जो वास्तव में चालू हों। भुगतान से पहले संबंधित योजना का बिजली बिल जांचकर उसकी कार्यशीलता की पुष्टि भी सुनिश्चित की जाए।
जीरो ऑफिस डे पर दिया जोर
बैठक में "ज़ीरो ऑफिस डे (Zero office Day)" अभियान अंतर्गत पदाधिकारियों द्वारा किए गए क्षेत्रीय निरीक्षण की भी समीक्षा की गयी। प्रधान सचिव ने अधिकारियों को प्रत्येक ज़ीरो ऑफिस डे अभियान में न्यूनतम 15 से 20 योजनाओं का भौतिक सत्यापन अनिवार्य रूप से करने का सख्त निर्देश दिया। बैठक में यह भी निर्देश दिया गया कि मरम्मति कार्यों में रूचि नहीं लेने वाले या समयसीमा के भीतर कार्य पूर्ण नहीं करने वाले संवेदकों के विरुद्ध अनुबंध की शर्तों के अनुरूप कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
बैठक में कुछ प्रमंडलों—जैसे मुजफ्फरपुर, मोतीपुर, औरंगाबाद, सिवान, बेतिया और गया की प्रगति की स्थिति पर असंतोष व्यक्त करते हुए प्रधान सचिव ने वहां के कार्यपालक अभियंता से स्पष्टीकरण तलब किया है। यह भी निर्देशित किया गया कि जलापूर्ति योजनाओं की क्रियाशीलता 90 प्रतिशत से नीचे रहने पर संबंधित पदाधिकारियों के विरुद्ध विधि सम्मत विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
इसके अतिरिक्त छूटे हुए टोलों हेतु प्राप्त निवेदनों के शीघ्र निष्पादन का निर्देश दिया गया। प्रधान सचिव द्वारा यह विश्वास किया गया कि छूटे हुए टोलों में भी जलापूर्ति का कार्य शीघ्र पूर्ण कर लिया जाएगा।