Deepak Prakash Wife : ब्राह्मण अफसर की बेटी से सांसद उपेन्द्र कुशवाहा की बहू बनी साक्षी मिश्रा, अब पति दीपक प्रकाश बिना चुनाव लड़े बने मंत्री

PATNA : बिहार की नीतीश कुमार सरकार में 37 वर्षीय दीपक प्रकाश कुशवाहा को मंत्री बनाए जाने के बाद से ही वे सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में हैं। ख़ास बात यह है कि दीपक प्रकाश ने चुनाव नहीं लड़ा है। उन्हें मंत्री बने रहने के लिए अगले छह महीनों के भीतर विधानमंडल का सदस्य बनना होगा, जिसके लिए उन्हें भाजपा और जदयू के सहयोग से एमएलसी बनाए जाने की संभावना है। दीपक प्रकाश राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं, जिससे उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि काफी मज़बूत है।

राजनीति में कदम रखने से पहले दीपक प्रकाश की पहचान एक सफल पेशेवर की रही है। उन्होंने एमआईटी मणिपाल से बीटेक की डिग्री प्राप्त की थी। अपनी तकनीकी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने एक मल्टीनेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम किया और बाद में कॉर्पोरेट दुनिया को छोड़कर अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, दीपक और उनकी पत्‍नी साक्षी मिश्रा की लव मैरिज हुई थी। साक्षी के एक भाई और दो बहनें हैं, जबकि उनकी मां का निधन हो चुका है। विवाह के बाद यह युगल पटना स्थित अपने ससुराल में रहता है।

दीपक प्रकाश की पत्नी साक्षी मिश्रा कुशवाहा मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं और एक प्रतिष्ठित पारिवारिक पृष्ठभूमि से आती हैं। उनके पिता एसएन मिश्रा एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं। राजनीतिक मोर्चे पर, साक्षी सक्रिय रूप से शामिल रही हैं; उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव में अपने पति के साथ मिलकर अपनी सास स्नेहलता कुशवाहा (जो अब विधायक बन चुकी हैं) के लिए गांव-गांव घूमकर ज़ोरदार प्रचार किया था। उनका यह सक्रिय सहयोग उनके पति के नए राजनीतिक सफर के लिए एक मज़बूत आधार तैयार करता है।

हाल ही में, दीपक प्रकाश के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान साक्षी मिश्रा ने मीडिया के सामने आकर एक ऐसा बयान दिया जो तत्काल वायरल हो गया और लोगों के बीच उनकी पहचान को लेकर जबरदस्त उत्सुकता पैदा कर दी। उन्होंने मीडिया से बातचीत में अपनी पहचान को बेहद स्पष्ट शब्दों में परिभाषित करते हुए कहा, "मेरा नाम साक्षी मिश्रा कुशवाहा है। मैं जनेऊधारी ब्राह्मण की बेटी और चंद्रगुप्त मौर्य के वंशज की पत्नी हूं।" सोशल मीडिया पर इस वक्तव्य के फैलने के बाद से, साक्षी की जातीय और वंशावली से जुड़ी पृष्ठभूमि को लेकर लोगों के मन में जानने की उत्‍सुकता पैदा हो गई है।