Bihar Politics: लालू परिवार में उठी बगावत की चप्पल, रोहिणी-तेजस्वी विवाद की शुरुआती चिंगारी कहाँ से उठी? पढ़िए इनसाइड स्टोरी
Bihar Politics: बिहार विधान सभा चुनाव नतीजों के बाद आरजेडी की करारी शिकस्त ने लालू परिवार के भीतर ऐसी हलचल मचा दी कि 15 नवंबर की सुबह राबड़ी आवास 10 सर्कुलर रोड घरेलू राजनीति का अखाड़ा बन गया। ...
Bihar Politics: बिहार विधान सभा चुनाव नतीजों के बाद आरजेडी की करारी शिकस्त ने लालू परिवार के भीतर ऐसी हलचल मचा दी कि 15 नवंबर की सुबह राबड़ी आवास 10 सर्कुलर रोड घरेलू राजनीति का अखाड़ा बन गया। 14 नवंबर को आए चुनावी नतीजों की टीस अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि अगले ही दिन तेजस्वी यादव बनाम रोहिणी आचार्य का टकराव सियासी गलियारों की सबसे बड़ी ख़बर बन गया।
सूत्रों के मुताबिक, रोहिणी की नाराज़गी का केंद्र था संजय यादव, रमीज़ और तेजस्वी की कोर टीम का बढ़ता दख़ल। रोहिणी का इल्ज़ाम था कि यह टीम न सिर्फ़ मनमानी करती है, बल्कि तेजस्वी तक किसी को पहुँचने भी नहीं देती। “संजय यादव के नाम पर तुम इतना पर्सनल क्यों हो जाते हो?” रोहिणी का यह जुमला तेजस्वी को चुभ गया और इसी तकरार ने रूप ले लिया एक ऐसे विवाद का, जिसकी नौबत चप्पल उठने तक आ पहुँची।
ख़बर यह भी है कि संजय यादव के साले सुमित यादव को ‘पीए’ बनाए जाने पर रोहिणी का ग़ुस्सा और भड़क गया। तेजस्वी संजय का बचाव करते रहे, और उधर रोहिणी कहती रहीं कि पार्टी को “कोर टीम के बंधक” की तरह चलाया जा रहा है। तेजस्वी की पत्नी तक के संजय के समर्थन में उतर आने से माहौल और तनावपूर्ण हो गया। स्थिति इतनी बिगड़ी कि राबड़ी देवी और मीसा भारती को बीच-बचाव करना पड़ा।
इसके बाद तेजस्वी ने रोहिणी से कहा “तुम शादीशुदा हो, अपने ससुराल जा सकती हो।” यह सुनते ही रोहिणी भावुक होकर रोते हुए लालू यादव के पास पहुँचीं और कुछ ही देर बाद घर छोड़ दिल्ली रवाना हो गईं। पटना एयरपोर्ट पर ही उन्होंने पारिवारिक विवाद को सार्वजनिक कर दिया जो आरजेडी के लिए बड़ा झटका था।
यह पहला मौका नहीं है जब रोहिणी संजय यादव को लेकर भड़की हों। बिहार अधिकार यात्रा के दौरान भी रोहिणी ने तब ऐतराज़ जताया था, जब बस की फ़्रंट सीट जहाँ तेजस्वी बैठते हैं संजय यादव काबिज़ हो गए थे। तेज प्रताप भी इस टीम को लेकर पहले कई बार अपनी नाराज़गी जता चुके हैं।
रोहिणी ने विवाद को और उछालते हुए एक्स पर लिखा “मुझे गंदा कहा गया, मेरी किडनी को गंदा कहा गया… मैं करोड़ों लेकर आई हूं।”
चुनावी हलकों में चर्चा यह भी रही कि छपरा से हार के बाद रोहिणी खुद विधानसभा टिकट चाहती थीं और उम्मीदवारों की एक सूची भी तेजस्वी की टीम को सौंप चुकी थीं जिसे सिरे से खारिज कर दिया गया।
आरजेडी की चुनावी हार ने जिस आग को सुलगाया था, वह अब परिवार की दहलीज़ लांघ कर सार्वजनिक राजनीतिक संग्राम बनती दिख रही है।