जीतन राम मांझी का बड़ा बयान,राज्यसभा सीट के लिए एनडीए को अल्टीमेटम
जीतन राम मांझी ने आगामी राज्यसभा चुनावों को लेकर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। उन्होंने खुले मंच से घोषणा की है कि उनकी पार्टी को राज्यसभा का टिकट मिलना चाहिए। यदि उनके साथ गठबंधन में "धोखा" या "बेईमानी" होती है, तो वे चुप नहीं बैठेंगे।
साल 2026 में बिहार से राज्यसभा की पांच सीटें खाली होने जा रही हैं, लेकिन इस बार सियासी गलियारों में चर्चा है कि पुराने दिग्गजों को नए वर्ष में भारी निराशा हाथ लग सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कुछ अप्रत्याशित समीकरणों के चलते मौजूदा सदस्यों को दोबारा मौका मिलने की उम्मीद बेहद कम है। माना जा रहा है कि पार्टियों ने इन सीटों के लिए नए चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी कर ली है, जिससे 'किस्सा कुर्सी का' इस बार एक नया मोड़ लेता दिखाई दे रहा है।
राज्यसभा से विदा होने वाले सदस्यों में राजद (RJD) के कद्दावर नेता प्रेमचंद्र गुप्ता और एडी सिंह शामिल हैं। वहीं, सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के कोटे से राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह और रामनाथ ठाकुर का कार्यकाल भी पूरा होने जा रहा है। इन चार सीटों के अलावा, पांचवीं सीट राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की है। इन सभी सदस्यों का कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 को समाप्त हो जाएगा, जिसके बाद इन सीटों पर नए निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू होगी। ऐसे में जो नेता मौका मिलने की उम्मीद लगाए बैठे है, उनके लिए 2026 का साल राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।
जीतन राम मांझी का राज्यसभा सीट के लिए एनडीए को अल्टीमेटम
केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के संरक्षक जीतन राम मांझी ने आगामी राज्यसभा चुनावों को लेकर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। उन्होंने खुले मंच से घोषणा की है कि उनकी पार्टी को राज्यसभा का टिकट मिलना चाहिए। मांझी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि उनके साथ गठबंधन में "धोखा" या "बेईमानी" होती है, तो वे चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने संकेत दिया कि सम्मान न मिलने पर वे अपने रास्ते अलग करने पर भी विचार कर सकते हैं।
100 सीटों की तैयारी और 'इंकलाब जिंदाबाद': मांझी की नई रणनीति
मांझी ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमें कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि गठबंधन में उचित हिस्सेदारी (100 सीटें) नहीं मिलती है, तो वे 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारे के साथ अपना अलग झंडा लेकर चलेंगे। उनका मानना है कि अकेले लड़ने पर भी उनकी पार्टी को मिलने वाला 5% से 6% वोट उसे एक बड़ी राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित करेगा।
कुर्सी छोड़ने को तैयार: "कम समझने की गलती न करे भाजपा"
अपने भाषण के दौरान जीतन राम मांझी ने कड़ा संदेश देते हुए कहा कि उन्हें मंत्री पद का मोह नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि सहयोगी दल उन्हें कम आंकने की गलती न करें। मांझी ने संतोष मांझी और पार्टी के अन्य नेताओं को अपनी ताकत संगठित करने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी लड़ाई केवल मगध तक सीमित नहीं है, बल्कि पूर्णिया, मुंगेर, भागलपुर और बेतिया जैसे इलाकों में भी उनके पास मजबूत जनाधार है