Bihar Special Economic Zone: बिहार में सियासी तेवरों के साथ औद्योगिकरण का बजा बिगुल, दो नए SEZ से बदलेगा निवेश का मंजर, 250 एकड़ में बनेगा पहला विशेष आर्थिक जोन

Bihar Special Economic Zone: बिहार की सियासी फिज़ाओं में इस वक्त औद्योगिक विकास की एक नई हवा चल पड़ी है। राज्य सरकार ने उद्योग और निवेश को नई रफ़्तार देने के लिए 250 एकड़ में फैले दो विशेष आर्थिक जोन की भव्य योजना को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया ह

बिहार में सियासी तेवरों के साथ औद्योगिकरण का बजा बिगुल- फोटो : social Media

Bihar Special Economic Zone: बिहार की सियासी फिज़ाओं में इस वक्त औद्योगिक विकास की एक नई हवा चल पड़ी है। राज्य सरकार ने उद्योग और निवेश को नई रफ़्तार देने के लिए 250 एकड़ में फैले दो विशेष आर्थिक जोन  की भव्य योजना को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है। यह फैसला न सिर्फ़ राजनीतिक दृष्टि से अहम है बल्कि बिहार की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा टर्निंग पॉइंट माना जा रहा है।

उद्योग मंत्री दिलीप जायसवाल ने साफ़ शब्दों में कहा कि सरकार SEZ प्रोजेक्ट को लेकर बेहद गंभीर और मुस्तैद है। बेतिया और बक्सर—इन दो जिलों में 125-125 एकड़ भूमि पर दो अलग-अलग सेज की स्थापना होगी। दोनों जगहों पर जमीन चिन्हित हो चुकी है और जल्द ही वहाँ निर्माण कार्य शुरू होगा। कुल 225 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाले ये सेज भविष्य में राज्य के औद्योगिक परिदृश्य का नक्शा बदल सकते हैं।

केंद्र सरकार ने भी हाल ही में इन दोनों सेज को मंजूरी देकर बिहार को औद्योगिक प्रतिस्पर्धा की नई पटरी पर ला खड़ा किया है। जानकारी के मुताबिक, पश्चिमी चंपारण के कुमारबाग SEZ पर 116 करोड़ और बक्सर के नवानगर SEZ पर 109 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह राशि इस बात का संकेत है कि राज्य सरकार “औद्योगिक बिहार” के मिशन को केवल कागज़ों में नहीं, बल्कि ज़मीन पर भी उतारना चाहती है।

विभाग का दावा है कि ये दोनों SEZ विश्वस्तरीय तकनीक और सुविधाओं से लैस होंगे। यहां उद्यमियों को वन-स्टॉप सॉल्यूशन की तर्ज पर सभी आवश्यक व्यवस्थाएं मिलेंगी, ताकि उन्हें न तो लालफीताशाही में फंसना पड़े और न ही किसी अव्यवस्था से जूझना पड़े। अनुमान है कि इन सेज में दो दर्जन से अधिक औद्योगिक इकाइयों की स्थापना हो सकती है, जिससे दस हज़ार से अधिक युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर तैयार होंगे।

सबसे बढ़कर SEZ में लगने वाले उद्योगों को आयकर, विभिन्न राज्य करों और शुल्क मुक्त आयात-निर्यात जैसी कई रियायतें मिलेंगी। यही वजह है कि राजनीतिक हलकों में इसे बिहार की आर्थिक खुद्मुख्तारी की दिशा में सबसे बड़ा कदम बताया जा रहा है।