चुनाव का चक्कर! जातीय समीकरण में उलझा ऑपरेशन सिन्दूर में शहीदों का सम्मान, धर्म और जाति देखकर घर पहुंच रहे हैं बिहार के राजनेता

Bihar politics - बिहार में शहीदों को श्रद्धांजलि देने में जाति और धर्म देखा जा रहा है। यहां के राजनेता इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि किसे श्रद्धांजलि देने उनके घर जाएंगे, जिससे उनके वोट बैंक को फायदा मिले।

Patna - बिहार की राजनीति में जातिवाद किस तरह हावी है. यह किसी से छिपा नहीं है। हर राजनीतिक दल सिर्फ उन्हीं जातियों के लोगों के लिए काम करना चाहते हैं। जिनसे उन्हें चुनाव में कुछ फायदा होने की संभावना हो। अगर हादसे में किसी की जान जाती है तो उस धर्म और उसकी जाति का बड़ा राजनेता सैकड़ों किलोमीटर दूर से श्रद्धांजलि देने पहुंचता है। यह परिपाटी लंबे समय से चली आ रही है।

लेकिन अब शहीदों को श्रद्धांजलि देने में भी जातिवाद हावी होने लगा है। इसका प्रमाण ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तानी हमले में शहीद हुए बिहार के दो जवानों की शहादत के दौरान देखने को मिला। दोनों शहीदों में एक छपरा के  मो. इम्तियाज हैं, वही दूसरी तरफ सिवान के रामबाबू सिंह। देश के लिए दोनों ने अपनी शहादत दी। दोनों का योगदान कहीं से कम नहीं था। लेकिन, बिहार के राजनेताओं ने दोनों शहीदों में फर्क करना शुरू कर दिया।

शहीद मो. इम्तियाज को नमन करते तेजस्वी यादव

सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि

दोनों शहीदों को बिहार के नेताओं ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पटना एयरपोर्ट पर दोनों शहीदों के पार्थिव शरीर को नमन किया। लेकिन जिस तरह वह मो. इम्तियाज के सुपुर्दे खाक के लिए छपरा गए। परिवार को आर्थिक मदद भी की। लेकिन शहीद रामबाबू के परिवार से मिलने के लिए वह समय नहीं निकाल सके। 

नीतीश कुमार भी पहुंचे श्रद्धांजलि देने

इसी तरह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मो. इम्तियाज के परिवार से मिलने उनके घर पहुंचे। जहां उन्होंने खुद परिवार को 50 लाख रुपए का आर्थिक मदद की। साथ ही शहीद के लिए कई घोषणाएं की गई। लेकिन रामबाबू के परिवार से मिलने के लिए वह समय नहीं निकाल सके। 

वोट बैंक बड़ी वजह

जिसकी एक बड़ी वजह वोट बैंक से जुड़ी है। एक तरफ बिहार की विपक्षी पार्टी का आरोप है कि भाजपा तिरंगा यात्रा के बहाने शहीदों के शहादत का इस्तेमाल राजनीति फायदा उठाने के लिए कर रही है। वहीं पार्टी राजद  सहित जदयू भी एक खास समुदाय के वोट बैंक पर नजर गड़ाए है।

दोनों की शहादत एक जैसी

न्यूज4नेशन यह नहीं कहता है कि मो. इम्तियाज की शहादत का सम्मान नहीं होना चाहिए, लेकिन शहीद रामबाबू भी वही सम्मान पाने के हकदार हैं।