Bihar News:अब मिश्रा, सिंह, झा, शर्मा का कोई गुजारा नहीं...राजद विधायक मुन्ना यादव के बयान से बिहार की सियासत गरमाई, RJD की रणनीति या नुकसान का सौदा?

मुन्ना यादव ने सवर्णों को खुला निशाना बनाते हुए कहा, "अब मिश्रा, सिंह, झा, शर्मा का कोई गुजारा नहीं है। ये सब बैकफुट पर हैं। जब भी बिहार की गद्दी पर कोई बैठेगा, वह बहुजन ही होगा।"

राजद विधायक मुन्ना यादव के बयान से बिहार की सियासत गरमाई- फोटो : social Media

Bihar News: राजनीति में शब्द तलवार की तरह चलते हैं  कभी विपक्ष को घायल करते हैं तो कभी अपनी ही पार्टी को। मीनापुर से राजद विधायक राजीव कुमार उर्फ मुन्ना यादव के हालिया बयान ने बिहार की सियासत में एक बार फिर जातीय टकराव की चिंगारी सुलगा दी है।

18 जुलाई को दिए एक भाषण में मुन्ना यादव ने सवर्णों को खुला निशाना बनाते हुए कहा, "अब मिश्रा, सिंह, झा, शर्मा का कोई गुजारा नहीं है। ये सब बैकफुट पर हैं। जब भी बिहार की गद्दी पर कोई बैठेगा, वह बहुजन ही होगा।" उन्होंने आगे कहा कि "सवर्णों की औकात बिहार में क्या है, सब जान गए हैं।" इस बयान ने विरोधियों को खुला मैदान दे दिया और सोशल मीडिया पर वीडियो के वायरल होते ही विपक्ष हमलावर हो गया।

मुन्ना यादव सिर्फ सवर्ण समुदाय तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने प्रशांत किशोर को भी आड़े हाथों लिया और कहा, "प्रशांत किशोर तेजस्वी यादव को नौवीं फेल कहते हैं। वही चाहते हैं कि फिर से कोई जगन्नाथ मिश्रा जैसा मुख्यमंत्री बने, लेकिन अब वो दिन नहीं आने वाले।" यादव ने लालू प्रसाद यादव को सामाजिक न्याय का प्रतीक बताते हुए कहा कि "लालू जी ने ही बहुजन की सत्ता की धारा बनाई है।"

राजद, जो 2025 विधानसभा चुनाव से पहले ‘A to Z पार्टी’ की छवि गढ़ने में जुटी है, जिसमें सवर्णों को भी साथ जोड़ने की रणनीति है — वहां इस तरह का बयान न केवल रणनीति पर पानी फेर सकता है, बल्कि राजद को सवर्ण विरोधी छवि में भी ठहरा सकता है।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह बयान कहीं न कहीं राजद की बहुजन समावेशन नीति का हिस्सा हो सकता है, जिससे पार्टी अपने कोर वोटबैंक में आक्रामक संदेश देना चाहती है। लेकिन जातीय उकसावे के आरोपों में फंसी बयानबाजी, आरजेडी की साख और भविष्य की रणनीति पर भारी पड़ सकती है।

बयान पर विवाद गहराने के बाद मुन्ना यादव ने सफाई दी और कहा, "मेरे दस वर्षों के विधायक जीवन में मैंने कभी जातीय टिप्पणी नहीं की। मेरी बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है।" हालांकि इसी सफाई में उन्होंने एक और विवादास्पद टिप्पणी जोड़ दी: "जैसे भगवान कृष्ण को माखन चोर कहकर प्रताड़ित किया गया, वैसे ही लालू यादव को चारा चोर कहा गया। लेकिन हम विचलित नहीं होते।"

राजद का सवर्णों को साधने का एजेंडा मुन्ना यादव के बयान से झटका खा सकता है। जहां बहुजन वर्ग में यह बयान तालियों से गूंज सकता है, वहीं सवर्ण मतदाता वर्ग में गहरी नाराजगी और ध्रुवीकरण की आशंका है। अगर पार्टी ने जल्द स्पष्ट दूरी नहीं बनाई, तो यह बयान भविष्य के चुनावी समीकरणों को उलझा सकता है।सवाल यही है  क्या यह एक बड़बोलापन था, या रणनीति के तहत दिया गया ‘टेस्ट बैलून’? और इसका जवाब आने वाले हफ्तों की सियासी चालों में छिपा होगा।