Bihar Electricity Rate Increase: बिजली होगी मंहगी, चुनाव के बाद अब जनता पर बढ़ेगा बोझ, बिहार में इतने पैसे प्रति यूनिट करंट होगा महंगा

Bihar Electricity Rate Increase: बिहार के लोगों को महंगी बिजली का झटका लग सकता है। सरकार का यह कदम गरीब तबके पर सीधा बोझ डालने वाला माना जा रहा है। ....

बिहार में बिजली होगी मंहगी- फोटो : social Media

Bihar Electricity : बिहार के लोगों  को महंगी बिजली का झटका लग सकता है। बिजली कंपनी ने बिहार विद्युत विनियामक आयोग के दरबार में अनुदानरहित नई दरों का प्रस्ताव रखते हुए साफ कर दिया है कि इस बार महंगाई का करंट हर वर्ग को छूने वाला है,गरीब हों या किसान, घरेलू उपभोक्ता हों या शहरों की चकाचौंध में जगमगाती स्ट्रीट लाइटें। कंपनी का दावा है कि मौजूदा टैरिफ में बढ़ोतरी वक्त की मांग है, जबकि राजनीतिक गलियारों में इसे चुनावी साल से पहले राजकोषीय मजबूरी बनाम जनहित की नई बहस के रूप में देखा जा रहा है। प्रस्ताव के मुताबिक अप्रैल 2026 से बिजली दरों में कम से कम 35 पैसे प्रति यूनिट का इजाफा हो सकता है। कुटीर ज्योति, ग्रामीण घरेलू और शहरी घरेलू–तीनों श्रेणियों को एक समान 7.42 से बढ़ाकर 7.77 रुपये प्रति यूनिट करने की सलाह दी गई है। यह कदम गरीब तबके पर सीधा बोझ डालने वाला माना जा रहा है। दिलचस्प यह कि शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के दो स्लैब को खत्म कर एक कर दिया गया है, जिससे 100 यूनिट से ज्यादा खर्च करने वालों को 1.18 रुपये प्रति यूनिट राहत का फायदा मिल सकता है—इसे विपक्ष  अमीर-मोहब्बत, गरीब-मुसीबत की नई कहानी बता रहा है।

खेती के मोर्चे पर भी किसानों की मुश्किल बढ़ सकती है। पटवन और सिंचाई में इस्तेमाल होने वाली बिजली की दर 6.74 से बढ़कर 7.09 रुपये, जबकि शहरी पटवन में यही दर 7.17 से 7.52 रुपये हो सकती है। स्ट्रीट लाइट से लेकर सार्वजनिक पेयजल तक—हर क्षेत्र में टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। उद्योग जगत भी इस बार करंट से अछूता नहीं है। छोटे उद्योगों पर प्रति यूनिट 7.79 से 8.14 रुपये का बोझ पड़ेगा, जबकि बड़े उद्योगों को अलग-अलग केवी श्रेणियों में औसतन 35 पैसे ज्यादा चुकाने पड़ सकते हैं। इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन से लेकर ऑक्सीजन प्लांट तक, हर सेक्टर में महंगाई की छाया नजर आती है। कंपनी ने व्हीलिंग चार्ज भी बढ़ाने की बात कही है।

विनियामक आयोग ने जनता से राय मांगी है और पहली बार ई-मेल, रजिस्टर्ड व स्पीड पोस्ट, साथ ही खुले मंच पर सुनवाई की तारीखें तय की हैं। आयोग का दावा है कि जनता की आवाज़ फैसले की आधारशिला होगी, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह महंगाई सिर्फ वित्तीय गणित है या चुनावी साल से ठीक पहले जनता के सब्र की परीक्षा? बिहार का जनता दरबार अब तय करेगा कि करंट किस दिशा में बहेगा राहत की ओर या महंगाई की ओर।