Rjd Leader Ritu Jaiswal: जानें कौन है रीतू जायसवाल? जिसको लेकर बिहार की राजनीति में मच गया है बवाल
Rjd Leader Ritu Jaiswal: राजद की नेता रीतू जायसवाल को परिहार सीट से टिकट नहीं मिला है, जिससे वे नाराज़ हैं। पार्टी अब उन्हें बेलसंड से उतारने की तैयारी में है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पार्टी के निर्णय पर नाराज़गी जताई और नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए।
Rjd Leader Ritu Jaiswal: बिहार की राजनीति में रीतू जायसवाल का नाम काफी चर्चा में है। इसकी वजह ये है कि रीतू जायसवाल को सीतामढ़ी की परिहार विधानसभा सीट से टिकट की चाह थी, लेकिन राजद ने इस सीट से किसी और को टिकट दे दिया है। इस वजह से उन्होंने सीतामढ़ी परिहार विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन दाखिल कर लिया। रीतू जायसावल को राजद बेलसंड से टिकट देने की तैयारी में थी। इसको लेकर रीतू जायसवाल ने पार्टी के नेताओं पर भी गंभीर आरोप लगाया है था। रीतू जायसवाल हाजीपुर के एक सामान्य परिवार से निकलकर सीतामढ़ी जिले की पहचान बदल देने वाली यह महिला न सिर्फ एक मुखिया हैं, बल्कि ग्रामीण भारत की सशक्त आवाज भी बन गई हैं। उनकी कहानी दिखाती है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो बदलाव किसी भी स्तर पर संभव है।
शिक्षा से शुरुआत, समाजसेवा की राह पर कदम
रीतू जायसवाल की शिक्षा हाजीपुर में हुई और आगे उन्होंने दिल्ली में शिक्षिका के रूप में काम किया। लेकिन शहर की नौकरी उन्हें संतोष नहीं दे सकी। उन्होंने महसूस किया कि असली विकास गांवों की प्रगति में छिपा है। इस सोच ने उन्हें अपने मूल राज्य की ओर वापस लौटने के लिए प्रेरित किया।
सिंहवाहिनी पंचायत जहां से शुरू हुआ असली परिवर्तन
साल 2016 में जब वे सीतामढ़ी के सिंहवाहिनी पंचायत पहुंचीं, तो वहां की स्थितियाँ बेहद चुनौतीपूर्ण थीं। गंदगी, बेरोजगारी और शिक्षा की कमी ने गांव को पीछे धकेल रखा था। रीतू ने इस हालात को बदलने का संकल्प लिया। उन्होंने मुखिया पद के लिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।मुखिया बनने के बाद उन्होंने गांव में सफाई व्यवस्था, शिक्षा सुधार, और महिलाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर बढ़ाए। आज सिंहवाहिनी पंचायत को “आदर्श पंचायत” के रूप में जाना जाता है — और यह बदलाव उनके नेतृत्व की वजह से संभव हुआ।
जनसेवा को जीवन का उद्देश्य बनाया
रीतू जायसवाल ने अपने कार्यकाल में कई योजनाएं लागू कीं, जिनसे गांव का चेहरा बदल गया। कचरा प्रबंधन, डिजिटल पंचायत प्रणाली, महिलाओं के लिए प्रशिक्षण केंद्र और बच्चों के लिए स्मार्ट क्लासरूम — इन सबने ग्रामीण जीवन में नई ऊर्जा भरी। उनका मानना है कि विकास का मतलब केवल सड़क और इमारत नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति तक समान अवसर पहुंचाना है।”
देश और विदेश में सम्मानित नाम
रीतू जायसवाल के कार्यों को न सिर्फ बिहार में बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सराहा गया है। उन्हें महिला सशक्तिकरण सम्मान, इंडिया टुडे रूरल डेवलपमेंट अवॉर्ड, और गूगल वुमन ऑफ इन्फ्लुएंस अवॉर्ड जैसे कई प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं।इन पुरस्कारों ने उन्हें आधुनिक ग्रामीण भारत की प्रेरक महिला नेताओं में शामिल कर दिया है।
परिवार का सहयोग बना प्रेरणा का आधार
रीतू जायसवाल के पति अरुण कुमार, जो 1995 बैच के IAS अधिकारी हैं, ने 2018 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर पत्नी के साथ समाजसेवा में कदम रखा। दोनों ने मिलकर ग्रामीण विकास, शिक्षा और पर्यावरण के लिए अनेक योजनाएं शुरू कीं।
सोशल मीडिया के माध्यम से जनता से जुड़ाव
रीतू जायसवाल सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। फेसबुक, एक्स (ट्विटर) और इंस्टाग्राम के ज़रिए वे जनता से सीधे जुड़ी रहती हैं। उनके पोस्ट न सिर्फ पारदर्शिता दिखाते हैं, बल्कि जनता को भागीदारी का एहसास भी कराते हैं।