भीतरघातियों पर आरजेडी का शिकंजा: 300 चेहरों पर कार्रवाई की तैयारी, शीर्ष नेतृत्व के पास पहुंची रिपोर्ट
आरजेडी की समीक्षा रिपोर्ट में 300 भीतरघाती चिन्हित किए गए हैं। अनुशासन और बगावत के डर के बीच अब लालू-तेजस्वी के अंतिम फैसले पर सबकी नजरें टिकी हैं। पढ़ें पूरी खबर
Patna - विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अब आत्ममंथन के दौर से गुजर रही है। प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल के नेतृत्व में 26 नवंबर से 9 दिसंबर तक दो चरणों में चली लंबी समीक्षा बैठक के बाद पार्टी के भीतर चल रहे 'अंदरूनी खेल' का पर्दाफाश हुआ है। इस समीक्षा के दौरान पार्टी प्रत्याशियों और जिला पदाधिकारियों ने एक हजार से अधिक ऐसे नाम गिनाए हैं, जिन्होंने चुनाव में पार्टी के साथ गद्दारी की और विपक्षी खेमे को फायदा पहुंचाया।
छंटनी के बाद 300 चेहरों पर लटकी तलवार
पार्टी नेतृत्व ने प्राप्त शिकायतों की बारीक कतर-ब्योंत की है, जिसके बाद लगभग 300 चेहरे सीधे तौर पर आरोपों के घेरे में पाए गए हैं। इन 'भीतरघातियों' की अंतिम सूची तैयार कर शीर्ष नेतृत्व यानी लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को सौंप दी गई है। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि इन लोगों ने चुनाव के दौरान पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ जाकर न केवल वोट काटे, बल्कि नियमों का भी जमकर उल्लंघन किया।
कार्रवाई और पलायन के डर के बीच फंसा नेतृत्व
हालांकि, इस रिपोर्ट पर अमल करना शीर्ष नेतृत्व के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। पार्टी के भीतर एक बड़ा वर्ग कार्रवाई में देरी से हिचक रहा है, क्योंकि आरोपितों में कई मंझे हुए खिलाड़ी और पुराने प्रतिद्वंद्वी शामिल हैं। नेतृत्व को डर है कि यदि एक साथ इतनी बड़ी कार्रवाई की गई, तो पार्टी में बगावत और सामूहिक पलायन (Mass Exit) की स्थिति पैदा हो सकती है, जिसे लालू और तेजस्वी वर्तमान राजनीतिक हालात में टालना चाहते हैं।
पीढ़ियों के बीच विचारधारा का टकराव
पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर दो विचारधाराएं उभरकर सामने आई हैं। आरजेडी की नई पीढ़ी का मानना है कि अनुशासन बनाए रखने के लिए इन भितरघातियों के विरुद्ध कठोर से कठोर दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं, पार्टी की पुरानी पीढ़ी का मानना है कि ये आरोप अक्सर आपसी रंजिश और बिना परिश्रम पद पाने की लालसा से प्रेरित होते हैं। अनुभवी नेताओं का तर्क है कि सजा देने से पहले आरोपितों का पक्ष जानना भी अत्यंत आवश्यक है।
परिहार जैसा 'धोखा' बना पार्टी के लिए सबक
समीक्षा में सीतामढ़ी के परिहार विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण सबसे ऊपर रहा, जहाँ महिला प्रकोष्ठ की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रितु जायसवाल की बगावत ने आरजेडी को तीसरे स्थान पर धकेल दिया। पार्टी अब रितु जैसे चेहरों को खोने पर मन मसोस रही है। इन तमाम पेंचों के बीच अब यह साफ है कि अनुशासन का डंडा चलेगा या नहीं, इसका अंतिम निर्णय केवल तेजस्वी यादव के जमीनी आकलन और लालू प्रसाद यादव के वर्षों पुराने राजनीतिक विवेक से ही तय होगा।