Tejpratap: मोहब्बत में बगावत होनी चाहिए जनाब… तेज प्रताप ने लिखी इश्क की सियासी दास्तान

Tejpratap: बिहार सरकार में पूर्व मंत्री और लालू प्रसाद यादव के बड़े लाल तेजप्रताप यादव हमेशा अपने बिंदास अंदाज़ और बागी तेवर के लिए जाने जाते है।

"रिश्तेदारी का रजिस्ट्रेशन"!- फोटो : social Media

Tejpratap: कहते हैं, "वो इश्क़ ही क्या जिसमें बगावत न हो?पर जब इश्क़ सियासत से हो जाए, और बगावत अपनों से — तो फिर तेज प्रताप यादव जैसे आशिक सामने आते हैं, जो मोहब्बत में भी बगावत करते हैं… और पार्टी में भी।

2020 के विधानसभा चुनाव के बाद जो दास्तान शुरू हुई थी वो सिर्फ राजनीति की नहीं, इश्क, अहं और इन्तकाम की भी थी। बात छात्र आरजेडी की है, लेकिन झगड़ा दिल का निकला। तेज प्रताप ने अपने कथित साले आकाश यादव को छात्र राजद का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। राजनीति में इसे कहते हैं — "रिश्तेदारी का रजिस्ट्रेशन"!

लेकिन राजद के संविधान और जगदानंद सिंह की कलम ने इस प्रेमपत्र को फाड़ दिया। आकाश यादव की कुर्सी गगन कुमार को दे दी गई — और तेज प्रताप ने बिना देर किए बगावत का बुलेटिन जारी कर दिया।

पार्टी संविधान से चलती है, प्रवासी सलाह से नहीं", तेज प्रताप ने ट्वीट किया और सीधे अध्यक्ष की कुर्सी पर निशाना साधा।जगदानंद सिंह भी कहाँ कम थे, उन्होंने कहा —“कौन है तेज प्रताप? मैं लालू यादव के प्रति जवाबदेह हूं, उनके बेटे के नहीं!”

अब बताइए, बाप की पार्टी में बेटे को अजनबी और अधिकार विहीन बता देना — ये तो सियासी घरवापसी से पहले घरनिकासी जैसा था।और फिर… मोहब्बत हार गई, राजनीति ने पार्टी बदल ली!

इस झगड़े के बाद आकाश यादव ने तेज प्रताप की मोहब्बत और आरजेडी की सियासत दोनों को बाय-बाय बोल दिया — और जा बैठे पशुपति पारस की पार्टी में। वहाँ भी उन्हें छात्र विंग का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया, मतलब पद वही, सिर्फ पार्टी बदली!

आकाश ने आरोप लगाया कि राजद ने 8 साल के संघर्ष को एक झटके में जलील और बेदखल कर दिया।अब इसे राजनीतिक धोखा कहें या इश्क में बेवफाई, फैसला जनता का है।तेज प्रताप यादव का अंदाज़ हमेशा बिंदास रहा है — लेकिन इस दास्तान में वो आशिक कम, सियासी शायर ज्यादा लगे।जहाँ इश्क में प्रतिमा नहीं बैठती, वहां सत्ता की मूर्तियाँ खड़ी होती हैं....

रिपोर्ट- रितिक कुमार