Bihar Election 2025: 'सत्ता की चाबी' के लिए बिहार के इस इलाके की लड़ाई होगी निर्णायक, प्रत्याशियों की धड़कनें तेज

PATNA : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का दूसरा चरण राजनीतिक उत्साह और गहन रणनीतिक टकराव का केंद्र रहा। 'अंतिम वार, नहीं स्वीकार हार' के इरादे से चुनावी मैदान में उतरे एनडीए और महागठबंधन ने दूसरे चरण में अपना पूरा ज़ोर लगाया, जिसमें सबकी निगाहें शाहाबाद, मगध और सीमांचल—इन तीन महत्वपूर्ण इलाकों पर टिकी रहीं। इन तीनों ही रेंज में उच्च मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया है, जिसके चलते राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं कि यही 68 सीटें तय करेंगी कि बिहार की सत्ता की चाबी किसके हाथ लगेगी।

शाहाबाद और मगध में एनडीए के लिए बड़ी चुनौती

शाहाबाद रेंज (भोजपुर, रोहतास, कैमूर, बक्सर, 22 सीटें) और मगध रीजन (गया, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, 26 सीटें) का पिछला प्रदर्शन एनडीए के लिए चिंता का विषय रहा था। 2020 में, शाहाबाद की 22 सीटों में से एनडीए को केवल 2 सीटें मिली थीं, जबकि मगध की 26 सीटों में से केवल 5 सीटें ही उसके खाते में आई थीं। यानी, इन दो क्षेत्रों की कुल 48 सीटों में से 41 पर महागठबंधन ने जीत दर्ज की थी। इस बार एनडीए की रणनीति इन हारी हुई सीटों पर बड़ी वापसी करने पर केंद्रित रही, जो सत्ता तक पहुँचने के लिए सबसे आवश्यक है।

सीमांचल में 'विकास' और 'घुसपैठ' पर फोकस

सीमांचल इलाका (पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज, 20 सीटें) चुनावी तौर पर हमेशा से ही खास माना जाता रहा है। वर्तमान में इन 20 सीटों में से 12 सीटें एनडीए के पास हैं, हालाँकि किशनगंज में वह खाता भी नहीं खोल पाई थी। इस बार, एनडीए ने अपनी मौजूदा बढ़त को बरकरार रखने और विस्तार देने के लिए इस क्षेत्र में विकास के मुद्दों के साथ-साथ 'घुसपैठ' जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी ज़ोरदार प्रचार किया। यह चुनावी दांव यह सुनिश्चित करने के लिए खेला गया कि अल्पसंख्यक बहुल इस क्षेत्र में कोई बड़ा उलटफेर न हो और पार्टी किशनगंज जैसी सीटों पर भी जीत दर्ज कर सके।

68 सीटों का परिणाम तय करेगा जनादेश

कुल मिलाकर, दूसरे चरण की शाहाबाद, मगध और सीमांचल की 68 सीटें बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए निर्णायक साबित होने वाली हैं। 2020 के चुनावों में इन क्षेत्रों में हुए भारी नुकसान के बाद, एनडीए के लिए यह आवश्यक है कि वह यहाँ से बड़ी संख्या में सीटें हासिल करे ताकि बहुमत का आँकड़ा छुआ जा सके। दूसरी ओर, महागठबंधन इन क्षेत्रों में अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश में जुटा है।

कल मतगणना से होगा सियासी गणित का खुलासा

दोनों गठबंधनों द्वारा ज़ोरदार दावे किए जा रहे हैं, लेकिन अब सभी की निगाहें कल, 14 नवंबर को होने वाली मतगणना पर टिकी हैं। कल ईवीएम से निकलने वाले आँकड़े इन क्षेत्रों के सियासी गणित का खुलासा करेंगे और यह तय करेंगे कि बिहार की जनता ने किस गठबंधन के पक्ष में अपना जनादेश दिया है।