Bihar Teacher news - केके पाठक के इस आदेश को स्कूलों में सख्ती से लागू करने का शिक्षा विभाग ने दिया आदेश, पालन नहीं करने पर होगी सख्त कार्रवाई

Bihar Teacher news - शिक्षा विभाग के पूर्व एसीएस केके पाठक के दिए एक आदेश को अब शिक्षा विभाग ने सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने साफ कर दिया है कि आदेश का पालन नहीं पर कार्रवाई की जाएगी।

Patna - बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अब जींस और टी-शर्ट पहनकर स्कूल आने की इजाजत नहीं होगी। राज्य शिक्षा विभाग ने इसे लेकर सख्त निर्देश जारी किए हैं। शिक्षा विभाग के निदेशक सह अपर सचिव ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र लिखकर इस ड्रेस कोड को सख्ती से लागू कराने का निर्देश दिया है। यह कदम शिक्षकों और कर्मचारियों के अनौपचारिक पहनावे को लेकर मिल रही लगातार शिकायतों के बाद उठाया गया है।

ड्रेस कोड और अन्य प्रतिबंध

शिक्षा विभाग ने अपने निर्देश में बताया है कि शिक्षकों को फॉर्मल ड्रेस में ही स्कूल आना होगा। इसके साथ ही, सरकारी विद्यालयों में डीजे बजाने, डांस करने, गाना गाने और रील बनाने पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। इन नियमों का पालन न करने वाले शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह निर्देश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 2019 में जारी किए गए ज्ञापन का ही हिस्सा है, जिसे कई शिक्षक नजरअंदाज कर रहे थे।

मोबाइल के इस्तेमाल और छात्रों की उपस्थिति पर भी निर्देश

ड्रेस कोड के अलावा, विभाग ने स्कूलों में शिक्षकों द्वारा मोबाइल के अत्यधिक उपयोग और रील बनाने पर भी लगाम लगाने को कहा है। इसके अलावा, स्कूलों में छात्रों की कम उपस्थिति को देखते हुए एक और महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया गया है।

 अब शिक्षक उन छात्रों के माता-पिता या अभिभावकों से संपर्क करेंगे जो लगातार अनुपस्थित रहते हैं। इसका मकसद यह पता लगाना है कि छात्र सच में बीमार हैं या स्कूल के नाम पर कहीं और जा रहे हैं, जैसे कि कोचिंग। यह कदम छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने और उनकी पढ़ाई पर नजर रखने के लिए उठाया गया है।

केके पाठक के पिछले आदेशों का पालन

यह फैसला शिक्षा विभाग के पूर्व अपर मुख्य सचिव केके पाठक के उस निर्देश के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने अपने कार्यालय में जींस और टी-शर्ट पहनने पर रोक लगाई थी। यह देखा गया था कि कुछ समीक्षा बैठकों में भी अधिकारी इसी तरह के कपड़े पहनकर आ रहे थे। शिक्षा विभाग का मानना है कि इन नियमों से न केवल स्कूलों में अनुशासन बढ़ेगा, बल्कि छात्रों के बीच भी एक सकारात्मक माहौल बनेगा।