Chandan Mishra Murder Case: पीली टी-शर्ट वाला कौन था, चंदन के कमरे तक शूटरों को किसने पहुंचाया? सवालों के घेरे में अस्पताल प्रबंधन, चंदन मिश्रा हत्याकांड ने खोली हॉस्पीटल सिक्योरिटी की पोल!

Chandan Mishra Murder: मुख्य शूटर तौसीफ सहित 5 बदमाश हथियार के साथ दूसरे तल्ले के कॉरिडोर में चहलकदमी करते चंदन के कमरे तक पहुंचता है. इन 5बदमाशों के पीछे पीली टी-शर्ट में एक शख्स दिखाई दे रहा है. जो वहीं से दाईं ओर मुड़कर सीन से गायब हो जाता है।

पीली टी-शर्ट वाला कौन था?- फोटो : social Media

Chandan Mishra Murder:बिहार की राजधानी पटना में कानून-व्यवस्था का हाल ऐसा हो चला है कि अब हत्यारे अस्पतालों को शूटिंग रेंज समझ बैठे हैं, और ICU को एक्जीक्यूशन जोन। चंदन मिश्रा हत्याकांड में पारस हॉस्पिटल अब अस्पताल कम, सवालों का कब्रिस्तान ज्यादा दिखता है। डॉक्टर के इंजेक्शन से पहले गोली दी जाती है और सिक्योरिटी गार्ड्स हैं या गाइड्स  तय कर पाना मुश्किल हो गया है।मुख्य शूटर तौसीफ सहित 5 बदमाश हथियार के साथ दूसरे तल्ले के कॉरिडोर में चहलकदमी करते चंदन के कमरे तक पहुंचता है. इन पांचों बदमाशों के पीछे पीली टी-शर्ट में एक शख्स दिखाई दे रहा है. जो वहीं से दाईं ओर मुड़कर सीन से गायब हो जाता है।

17 जुलाई की सुबह जब लोग ब्रेकफास्ट कर रहे थे, उसी वक्त पांच हथियारबंद बदमाश चंदन मिश्रा को ब्रेकअप ऑफ लाइफ दे रहे थे। कॉरिडोर से निकलते हुए शूटर तौसीफ बादशाह और उसकी फायरिंग स्क्वॉड को किसी ने टोका तक नहीं। CCTV फुटेज में दिखता है कि ये हथियारबंद पर्यटक आराम से टहलकदमी करते हुए कमरे नंबर 209 में घुसते हैं  और फिर शुरू होता है 'ऑपरेशन गोलियां'।

चंदन को शरीर में 32 गोलियां मारी गईं, यानी शायद कातिल ये बताना चाह रहे थे कि वह इलाज से नहीं, सज़ा से निकला था। सीन में एक पीली टी-शर्ट वाला रहस्यमयी व्यक्ति भी था, जो सबकुछ देख चुपचाप सीन से गायब हो गया । सवाल है आखिर पीली शर्ट वाला कौन है।

सीसीटीवी फुटेज ने जो सच्चाई उजागर की है, वो प्रशासन से ज़्यादा अस्पताल प्रबंधन को कटघरे में खड़ा करती है। सवाल ये है कि जब अस्पताल के पास अपनी सिक्योरिटी टीम, सीसीटीवी मॉनिटरिंग और इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम जैसी व्यवस्थाएं थीं, तो फिर हत्यारे बेधड़क भीतर कैसे पहुंचे? क्या सिक्योरिटी केवल नाम की थी? क्या महज़ दिखावे के लिए तैनात थे गार्ड?

चंदन मिश्रा की हत्या के बाद पुलिस ने तेजी से कार्रवाई की, गिरफ्तारी भी हुई, लेकिन अस्पताल प्रशासन की भूमिका पर चुप्पी साध ली गई है। अब राजनीतिक हलकों में भी यह मुद्दा गरमा गया है। विपक्ष सरकार पर हमलावर है कि राजधानी में जब अस्पताल तक सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिक खुद को कैसे सुरक्षित महसूस करे? और वहीं, सरकार अस्पताल प्रशासन से भी जवाब मांगने की बात कर रही है।

अब सवाल ये है  क्या पारस हॉस्पिटल ऑपरेशन करता है या प्लॉट तैयार करता है? क्या डॉक्टर पिंटू कुमार सिंह की जांच का क्या हुआ जिसने  डिस्चार्ज की तारीख टाली। चंदन मिश्रा कोई संत नहीं था, मगर उसे ऐसे मारा गया जैसे वो किसी स्क्रिप्टेड फिल्म का विलेन हो। पैरोल पर आया था इलाज के लिए, लेकिन उसे गोली देकर स्थायी ‘डिस्चार्ज’ दे दिया गया।

पुलिस अब अस्पताल के चार गार्डों से पूछताछ कर रही है, लेकिन असली सवाल यही है कि कानून ICU में कब से वेंटिलेटर पर पड़ा है?और अपराधियों को इस शहर में कब से VIP पास मिलने लगा है?