पहले शराब पिलाने की कोशिश फिर मुंह में कपड़ा ठूंसा, नाबालिग लड़की के बदन का एक-एक कपड़ा उतारकर लूट ली अस्मत ... फिर भी आरोपी पूर्व MLA निर्दोष, जानिए क्यों

रेप मामले में राजद के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला जबकि निचली अदालत ने उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई थी. जानिए आखिर ऐसा क्यों हुआ ...

Rajballabh Yadav- फोटो : news4nation

Rajballabh Yadav : 6 फरवरी 2016 को जन्मदिन की पार्टी के नाम पर नाबालिग को बोलेरो गाड़ी से नवादा के गिरियक स्थित एक घर पर लाया गया। जहां उसे पीने के लिए शराब दिया गया।लेकिन उसने पीने से मना कर दिया। बाद में नाबालिग का कपड़ा उतार उसे बिस्तर पर धकेल दिया गया और मुंह में कपड़ा ठुस दिया गया था। शराब पिये एक व्यक्ति ने उसके साथ दुष्कर्म किया था। बाद में उसे दूसरे कमरे में ले जाया गया और सुबह में नाबालिग को घर छोड़ दिया गया। नाबालिग ने अपने बयान में कहा कि जो महिला उसे लेकर गई थी उसे उसने दुष्कर्म करने वाले से तीस हजार रुपये लेते देखा था। रौंगटे खड़े करने वाली यह वारदात नवादा के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव से जुड़े मामले में है जिसमें उन पर नाबालिग से बलात्कार का आरोप लगा था. लेकिन अब पटना हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया. 


ऐसे में बड़ा सवाल है कि कोर्ट में आखिर ऐसा क्या हुआ कि राजबल्लभ यादव के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला जबकि निचली अदालत ने उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई थी. स्पेशल एमएलए/एमपी कोर्ट के जज परशुराम यादव ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376(बलात्कार) ,120 बी और पॉक्सो अधिनियम  के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसके बाद नवादा के राजद के विधायक राजबल्लभ यादव को बिहार विधानसभा की सदस्यता खत्म हो गयी. लेकिन अब उन्हें पटना हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली जिसके पीछे  कई कारण रहे हैं. 


पीड़िता यौन संबंध बनाने की आदी

दरअसल, हाई कोर्ट ने माना कि पीड़िता से जबरन रेप के सबूत नहीं हैं. मेडिकल जांच में डॉक्टर ने पाया कि पीड़िता यौन संबंध बनाने की आदी थी. उसके साथ जबरदस्ती संबंध बनाने के कोई साक्ष्य नहीं पाए गए. अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा कि पीड़िता की उम्र 18 साल से कम है. अभियोजन पक्ष ने पीड़िता के कपड़ों को एफएसएल (फॉरेंसिक) जांच के लिए भेजा था, लेकिन उसकी रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया. इस वजह से अपीलकर्ताओं (राजबल्लभ समेत अन्य) को संदेह का लाभ मिलना चाहिए. इस आधार पर राजबल्लभ यादव को कोर्ट ने बरी करने का आदेश सुनाया. साथ ही यह भी साबित नहीं हुआ कि लड़की के साथ घटना को अंजाम देने वाला राजबल्लभ यादव था. 


कौन हैं राजबल्लभ यादव 

राजबल्लभ यादव का राजनीतिक सफर काफी रोचक और उतार-चढ़ाव भरा रहा है। राजनीति में उनके प्रवेश की कहानी 1990 में उनके भाई कृष्णा यादव से जुड़ी है, जो बीजेपी से नवादा विधायक चुने गए थे। लेकिन 1992 में लालू सरकार पर संकट के समय कृष्णा यादव बीजेपी छोड़ सत्ता पक्ष के साथ हो लिए। 1994 में उनके आकस्मिक निधन के बाद 1995 में राजबल्लभ ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीतकर लालू यादव के करीबी बन गए। यही उनकी पहली बगावत थी — पार्टी टिकट न मिलने के बावजूद मैदान में उतरना।


इसके बाद वे 2000 में राजद से फिर से विधायक बने। हालांकि 2005 और 2010 के चुनावों में उन्हें कौशल यादव की पत्नी पूर्णिमा यादव से शिकस्त झेलनी पड़ी। 2015 में जब यह सीट महागठबंधन के खाते में गई और पूर्णिमा यादव गोबिंदपुर से चुनाव लड़ीं, तो नवादा में राजबल्लभ की वापसी हुई और उन्होंने फिर जीत दर्ज की।  2020 में हुए विधानसभा चुनाव में राजबल्लभ प्रसाद की पत्नी राजद से उम्मीदवार बनी और विजयी हुई.