Arvind Kejriwal : विधानसभा चुनाव से पहले नई मुसीबत में फंसे अरविंद केजरीवाल, प्रवर्तन निदेशालय को मिल गई बड़ी मंजूरी, अब होगी कार्रवाई
ईडी ने जमानत पर बाहर आए केजरीवाल को 21 मार्च को पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया और 17 मई को चार्जशीट में उनका नाम दर्ज किया, जिसमें दावा किया गया कि कुछ शराब व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए रिश्वत ली गई
Arvind Kejriwal : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अब रद्द कर दी गई दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं को लेकर मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मंजूरी दे दी है। मामले से परिचित लोगों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब 6 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि धन शोधन के मामलों में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 (1) (अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 218) के तहत अभियोजन के लिए ईडी को भी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की तरह पूर्व मंजूरी लेनी होगी। मंजूरी के अभाव में आबकारी नीति मामले में केजरीवाल के खिलाफ आरोपों का निर्धारण दिल्ली की एक अदालत में लंबित था।
ईडी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के मामलों में आरोप पत्र दाखिल करने से पहले सभी लोक सेवकों के खिलाफ मंजूरी मांगेगा। उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने पिछले महीने एजेंसी को केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी थी। सीबीआई को अगस्त 2024 में आबकारी नीति से जुड़े समानांतर भ्रष्टाचार मामले में केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मिल गई थी।
ईडी ने जमानत पर बाहर आए केजरीवाल को 21 मार्च को पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया और 17 मई को चार्जशीट में उनका नाम दर्ज किया, जिसमें दावा किया गया कि कुछ शराब व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए ली गई कथित 100 करोड़ रुपये की रिश्वत में से 45 करोड़ रुपये आम आदमी पार्टी (आप) के गोवा चुनाव अभियान के लिए इस्तेमाल किए गए। ईडी ने कहा कि केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे और जुटाए जा रहे फंड के लिए आखिरकार जिम्मेदार थे। इसने केजरीवाल को आप के पीछे का दिमाग और उसकी गतिविधियों को नियंत्रित करने वाला बताया।
ईडी ने गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि केजरीवाल भी संस्थापक सदस्यों में से एक थे और नीति के निर्णय लेने में शामिल थे। इसने केजरीवाल पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। इसने दावा किया कि 1,100 करोड़ रुपये की अपराध आय की पहचान की गई है।
ईडी ने केजरीवाल को आबकारी नीति से जुड़ी अनियमितताओं का “सरगना” बताया। इसने कहा कि केजरीवाल, उनके तत्कालीन डिप्टी मनीष सिसोदिया और पूर्व आप मीडिया प्रभारी विजय नायर ने अपने चुनावी फंडिंग के लिए ₹100 करोड़ की रिश्वत के अलावा “अतिरिक्त” पैसे मांगे थे। एजेंसी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल के एक “करीबी सहयोगी” विनोद चौहान ने आप के लिए दिल्ली से गोवा तक 25.5 करोड़ रुपये की रिश्वत राशि ट्रांसफर करने का काम संभाला। केजरीवाल ने अपने खिलाफ सभी आरोपों से इनकार किया है।