Bakrid Festival: बिहार में बकरीद की धूम! 91 हजार में बिका सलमान और 51 में आमीर
Bakrid Festival: बकरीद (ईद-उल-अज़हा) 7 जून को मनाई जाएगी। जानें इस पर्व का इतिहास, कुर्बानी का धार्मिक महत्व और समाजिक संदेश। साथ ही, इस साल चर्चित बकरों की कीमतें और बाज़ार की हलचल।
Bakrid Festival: बकरीद या ईद-उल-अज़हा इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है, जो इस वर्ष 7 जून 2025 को मनाया जाएगा। यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि प्यारे अल्लाह के प्रति निष्ठा, ईमान और बलिदान का प्रतीक है।
हजरत इब्राहिम की सुन्नत और अल्लाह की आज़माइश
इस त्योहार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पैगंबर हजरत इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) की उस घटना से जुड़ी है, जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने सबसे प्रिय बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान करने का निर्णय लिया। अल्लाह ने उनकी आज़माइश में देखा कि क्या वे अपने बेटे को कुर्बान कर सकते हैं। जब इब्राहिम ने अपनी आँखों पर पट्टी बांधकर छुरी चलाई, तो अल्लाह ने उनकी सच्ची नीयत देखकर इस्माइल के स्थान पर एक दुंबा (भेड़) भेज दिया और इस्माइल की जान बचा ली।
कुर्बानी का महत्व: ईमान, समानता और सेवा का प्रतीक
अल्लाह की रज़ा ही सर्वोच्च लक्ष्य
बकरीद पर दी जाने वाली कुर्बानी का उद्देश्य केवल जानवर की बलि नहीं, बल्कि अल्लाह की आज्ञा का पालन और ईमान की गहराई को दर्शाना है। यह बताता है कि एक मुसलमान अपने सबसे प्रिय चीज को भी अल्लाह की रज़ा के लिए कुर्बान कर सकता है।
मांस का वितरण: समाजिक समरसता का आदर्श
कुर्बानी के बाद जानवर के मांस को तीन हिस्सों में बांटा जाता है:
पहला हिस्सा परिवार के लिए
दूसरा हिस्सा रिश्तेदार और मित्रों के लिए
तीसरा हिस्सा गरीबों और ज़रूरतमंदों के लिए
यह वितरण इस्लाम में इंसानियत, बराबरी और सेवा भावना को पुष्ट करता है। यह पर्व यह सुनिश्चित करता है कि समाज में कोई भी भूखा न रहे।
बकरीद की तैयारी: बकरों की खरीदारी में जोश
बकरे 'सलमान' और 'आमिर' बने आकर्षण का केंद्र
इस साल बकरीद को लेकर बाज़ार में बकरों की खरीदारी जोरों पर है। खासकर बख्तियारपुर मवेशी हाट में इस बार सलमान और आमिर नाम के बकरों ने खूब चर्चा बटोरी:
सलमान बकरा: ₹91,000 में बिका
आमिर बकरा: ₹51,000 में बिका
इन बकरों की कीमत उनकी कद-काठी, रंग, आभा और प्रशिक्षण के अनुसार निर्धारित की गई थी। बच्चे-बूढ़े सभी इन बकरों को देखने पहुंच रहे थे।
हज और ज़िल-हिज्जा का धार्मिक महत्व
बकरीद, इस्लामी कैलेंडर के 12वें महीने ज़िल-हिज्जा की 10वीं तारीख को मनाई जाती है। यही वह महीना है जिसमें हज यात्रा भी होती है, जहाँ लाखों मुसलमान मक्का-मदीना जाकर तवाफ और अराफात की यात्रा करते हैं।
हजरत इब्राहिम की सुन्नत
मु. लुकमान अली के अनुसार, कुर्बानी करना हजरत इब्राहिम की सुन्नत है जिसे अल्लाह ने मुसलमानों पर वाजिब (आवश्यक) कर दिया है।