Bihar News : सहरसा में मॉडर्न अस्पताल में अमानवीयता की हदें पार, करंट लगे युवक को परिजनों ने चप्पल से पीटा, स्वास्थ्य विभाग ने बिठाई जांच

SAHARSA : सहरसा के मॉडर्न अस्पताल से चिकित्सा व्यवस्था को शर्मसार करने वाला एक वीडियो सामने आया है। यहाँ बिजली का करंट लगने से घायल एक युवक का इलाज उसके परिजनों द्वारा चप्पल से पीट-पीटकर किया गया। अस्पताल परिसर में हुई इस अमानवीय घटना का वीडियो वायरल होने के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग ने जांच टीम गठित कर दी है।

डॉक्टरों की लापरवाही का आरोप

मिली जानकारी के अनुसार, बनगांव थाना क्षेत्र के बरियाही बस्ती निवासी मंजीत कुमार बिजली की चपेट में आने से गंभीर रूप से झुलस गया था। परिजन आनन-फानन में उसे इलाज के लिए मॉडर्न अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड लेकर पहुँचे। परिजनों का आरोप है कि इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी काफी देर तक नदारद रहे। इलाज में हो रही देरी और युवक की बिगड़ती स्थिति को देख परिजनों ने खुद ही 'अजीबोगरीब' तरीके से उसका इलाज शुरू कर दिया।

इमरजेंसी में 'चप्पल' से इलाज

अस्पताल प्रशासन की कथित लेट-लतीफी के बीच, उत्तेजित परिजनों ने घायल मंजीत को चप्पल से पीटना शुरू कर दिया। उनका मानना था कि ऐसा करने से शरीर में हरकत आएगी, जो पूरी तरह से अमानवीय और चिकित्सकीय रूप से गलत था। हैरानी की बात यह है कि काफी देर तक अस्पताल के भीतर यह तमाशा चलता रहा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन का कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति वहां बीच-बचाव या इलाज के लिए मौजूद नहीं दिखा।

सिविल सर्जन ने लिया संज्ञान

घटना के काफी समय बीत जाने के बाद युवक को सुई और पानी चढ़ाया गया, लेकिन परिजनों का कहना है कि तब भी डॉक्टर उसे देखने नहीं आए। इस मामले पर सहरसा के सिविल सर्जन ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है। साथ ही, उस समय इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर से स्पष्टीकरण (Show Cause Notice) मांगा गया है।

जांच या खानापूर्ति? उठ रहे सवाल

सिविल सर्जन ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है, लेकिन स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में प्रशासन के प्रति संदेह बना हुआ है। अब देखना यह होगा कि क्या इस गंभीर लापरवाही पर अस्पताल प्रबंधन और संबंधित डॉक्टर के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होती है, या फिर हर बार की तरह जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति होकर मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

छोटू सरकार की रिपोर्ट