Gopal Khemka Murder: 7 साल बाद फिर वही अंजाम, इकलौता सुपारी कीलर, हॉर्न बजते ही धाय धाय,पिता पुत्र की हत्या में गजब का सयोग या साजिश पुरजोर!

पटना के बड़े कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या के 12 घंटे से अधिक हो गए हैं। हत्याकाण्ड का cctv सामने आ चूका है. इकलौते शूटर ने काण्ड को अंजाम दिया है.जो उसके प्रोफेशनल सुपारी कीलर होने की ताकीद करता है.कही अपनों की साजिश तो नहीं!

7 साल बाद फिर वही अंजाम, इकलौता सुपारी कीलर, हॉर्न बजते ही धाय धाय- फोटो : NEWS 4 NATION

N4N डेस्क: पटना के बड़े कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या के 12 घंटे से अधिक हो गए हैं। लेकिन पुलिस किसी ठोस सुराग पर नहीं पहुंची है। सिर्फ दावे किये जा रहे है SIT का गठन कर दिया है.पिता-पुत्र के मर्डर केस में साजिश रचने वालों ने पूरी तरह से एक जैसा तरीका अपनाते हुए हत्याकांड को प्रोफेशनल सुपारी कीलर से अंजाम दिलवाया है. महज बस एक छोटा सा अंतर है 20 दिसम्बर 2018 की दोपहर में पुत्र की हत्या करने वाला इकलौता सुपारी कीलर बाइक से पहुचा था और पिता की हत्या करने वाला शूटर स्कूटी पर सवार होकर पहुचा. CCTV के फुटेज से स्पष्ट हो रह है कि शूटर पहले से ही गेट के पास पार्किंग में हेलमेट पहने मौजूद था. उसके उनकी हर गतिविधि की जानकारी मिल रही थी.जैसे ही गोपाल खेमका की कार घर एक गेट पर पहुची और हॉर्न बजाया वो उनकी तरह बढ़ा कमर से पिस्टल निकाली और करीब से उनके सिर में गोली मार दी. फिर वह स्कूटी पर सवार होकर जेपी गोलंबर की तरफ फरार हो गया. 


पिता पुत्र की हत्या में गजब का सयोग

गौरतलब है कि गुरुवार, 20 दिसम्बर 2018 में गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका की हाजीपुर औद्योगिक क्षेत्र में उनकी कॉटन फैक्ट्री के गेट पर हत्या हुई थी. घटना वाले दिन दोपहर करीब 12 बजे गुंजन अपनी कार में फैक्ट्री पहुंचे और ड्राईवर ने गेट खोने खातिर जैसे ही हॉर्न बजाया पहले से घात लगाये इंतजार कर रहे बाइक सवार हेलमेट पहने इकलौता शूटर ने कमर से पिस्टल निकाली और फिर कार की खिड़की से पिस्तौल सटाकर दनादन 3 गोलियां चलाईं, जिससे गुंजन की मौके पर ही मौत हो गई.घटना के तुरंत बाद काण्ड को प्रोफेशनल सुपारी कीलर द्वारा अंजाम देने की आशंका व्यक्त की गई.


सुपारी किलर ने दिया खुरेजी को अंजाम

पिता पुत्र की हत्याकांडों में क्राइम का नेचर भी इसी ओर इशारा कर रहा है.क्योंकि धैर्य के साथ अपने शिकार का इंतजार करना किसी सामान्य श्रेणी के अपराधी या फिर अपराध की दुनिया में नए कदम रखने वाले छुटभैये बदमाशों की फितरत में नहीं होता. क्राइम जगत पर नजर रखने वाले जानकार भी मानते हैं कि ऐसी वारदातों में शातिर अपराधियों का धैर्य ही सबसे ज्यादा मायने रखता है. अपराधी अपने शिकार के इंतजार के दौरान कभी भी अपने धैर्य को नहीं खोता है. उसे पता होता है कि उसे हर हाल में यह काम करना है. फिर चाहे वक्त कितना भी लग जाए। 


टारगेट पर होता है खास फोकस

वारदात को अंजाम देने के पहले ऐसे अपराधी सबसे पहले उस स्थल का चुनाव करते हैं जहां उन्हें टारगेट को ठोकना होता है. इसके लिए कई स्थलों का चयन करने के बाद उनकी रेकी की जाती है.फिर अंतत: शातिर अपराधी उस स्थल का अंतिम रूप में चयन करते हैं, जहां उन्हें टारगेट को हिट करना होता है या फिर जहां शिकार का रेगुलर आना-जाना होता है.  


ऐसी हिम्मत नौसिखुआ अपराधी में नहीं

खेमका पिता पुत्र हत्याकांड को जिस किसी सुपारी किलर ने अंजाम दिया, उसका मॉडस ऑपरेंडी इसी तरह के तौर-तरीके की ओर इशारा कर रहा है। खेमका पिता पुत्र के पहुंचने से पहले ही सुपारी किलर का इंतजार, भागने के रास्ते की जानकारी, अपने चेहरे को छुपाने के लिए हेलमेट का इस्तेमाल और वारदात को अकेले दम पर अंजाम देने की हिम्मत और बिना इस बात की परवाह किए कि बंद खिड़की वाली कार में बैठे अपने शिकार को हिट करने में वह असफल भी हो सकता है, पिस्टल से हत्या की वारदात को अंजाम देना किसी साधारण और नौसिखुआ अपराधी के बूते की बात नहीं है. यानि ये बेहद शातिर और घुटे हुए सुपारी किलर का काम है.  


यह पुलिसिया जांच का विषय

अब यह पुलिसिया जांच का विषय है कि सुपारी कीलर कौन है और उसे सुपारी किसने दी. पुलिस की अब तक की तफ्तीश किसी नतीजे पर इसलिए भी नहीं पहुंच पा रही कि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक पुलिस के हाथ में मृतक के परिजन का कोई लिखित बयान नहीं आया है.